पेण्ड्रा। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद हुए मरवाही उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. केके ध्रुव ने बाजी मार ली है. मरवाही सीट पर जोगी परिवार के वर्चस्व को खत्म करने वाले डॉ. ध्रुव जनसेवा की भावना से चिकित्सा सेवा को छोड़कर राजनीति में आए हैं. लोग को उम्मीद है कि डॉ. ध्रुव मरवाही के विकास को नई गति प्रदान करेंगे.
आइए अब जानते हैं मरवाही की सीट पर जीत दर्ज कर इतिहास रचने वाले डॉ. केके ध्रुव के बारे में. बलौदाबाजार जिले के नटवा गांव के रहने वाले डॉ. ध्रुव के पिता स्व. देव सिंह ध्रुव एसईसीएल के कर्मचारी हुआ करते थे. कोरबा में प्रारंभिक शिक्षा के बाद कृष्णकुमार ध्रुव ने जबलपुर के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. परिवार के सदस्यों की बात करें तो खुद भले ही डॉक्टर हों, लेकिन इनके तीनों बेटे इंजीनियर हैं.
मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद शासकीय स्वास्थ्य सेवा में आने के बाद पहली बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू, जिला कोरबा में पदस्थ हुए. 1998 से फरवरी 2001 तक यहीं काम किया. इसके बाद मरवाही में बतौर डॉक्टर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2004 से ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पर काम करते रहे.
डॉ. ध्रुव अस्पताल में सेवाएं देने के साथ ही साथ किसी के बीमार पड़ने पर घर में भी जाकर उपचार करने से परहेज नहीं किया करते थे. यही वजह है कि इनकी आसपास के क्षेत्र में आम लोगों के बीच अच्छी-खासी पैठ बन गई. इसी सेवाभाव और लोगों से संपर्क ने मरवाही से विधायक अजीत जोगी के निधन के बाद कांग्रेस को डॉ. ध्रुव को प्रत्याशी बनाने के लिए प्रेरित किया.
38 हजार से अधिक मतों के अंतर से दर्ज की जीत
बात कर लें परिणाम की तो 21 चरण के चुनाव के बाद कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. केके ध्रुव ने 83372 मत हासिल किए, वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी डॉ. गंभीर सिंह ने 45240 मत हासिल किए. इस तरह से डॉ. ध्रुव ने 38132 मतों के अंतर से मरवाही सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाबी पाई है.