रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि किसानों की बेहतरी के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत किश्त ऐसे समय में दिये गए जब खेती किसानी के काम के लिए किसानों को राशि की जरूरत होती है। इससे किसानों का संबल बढ़ा है। हमारे किसान बड़े दिलवाले हैं कोरोना के समय उन्होंने मुक्त हस्त से दान किया। किसान हमेशा हर मोर्चे पर आगे रहते हैं। शासन को लगातार उन्हें सशक्त करने की दिशा में काम करना चाहिए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज दुर्ग जिले के पाटन में आयोजित जनसंपर्क कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पाटन के बस स्टैंड परिसर में एक करोड़ रुपए की लागत से व्यावसायिक परिसर के निर्माण, पांच करोड़ रुपए की लागत से स्कूलों की मरम्मत और सात करोड़ रुपए की लागत से आंगनबाड़ियों के जीर्णोद्धार की घोषणा भी की। साथ ही उन्होंने पाटन में खेलप्रेमियों की सुविधा बढ़ाने 25 लाख रुपए की लागत से ओपन बैडमिंटन कोर्ट, क्रिकेट पिच और वालीबाल कोर्ट भी बनवाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जनपद कार्यालय में कक्ष भी विस्तारित किये जाएंगे। इस अवसर पर उन्होंने एसडीएम कार्यालय के नये भवन का भूमिपूजन भी किया। एसडीएम कार्यालय एवं तहसील कार्यालय का रिनोवेशन भी होगा।
बघेल ने स्वामी आत्मानंद उद्यान का लोकार्पण भी किया। उन्होंने कहा कि पाटन में नागरिक सुविधाओं को विकसित करने के लिए लगातार बहुत से अच्छे कार्य किये जा रहे हैं। तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। उद्यानों को बेहतर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि सिंचाई सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार विशेष रूप से फोकस कर रही है। सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाए और किसानों के लिए विपणन की व्यवस्था कराई जाए तो किसानों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों ऊर्जा विभाग की बैठक में उन्होंने निर्देश दिये कि नदियों और नालों के किनारे बिजली तार विस्तारित करें। इससे किसान लिफ्ट इरीगेशन का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि विडंबना यह होती है कि नदियों और नालों के किनारे के किसान ही सिंचाई के लिए पानी की तंगी का ज्यादा सामना करते हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अनेक निर्माण कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण भी किया।
उन्होंने कहा कि पहले किसी आयोजन में जाओ तो अतिथियों के लिए काजू किशमिश परोस दिये जाते थे। अब लोकल छत्तीसगढ़ी आइटम रखे जाते हैं। तिखुर-सिंघाड़ा जो हमारी इतनी प्रिय सामग्री है कभी भी ऐसे आयोजन में नहीं रखी जाती थी। अब तिखुर-सिंघाड़ा रखते हैं। यह छत्तीसगढ़ी अस्मिता और गरिमा का प्रतीक है। अपने मूल्यों को हमने केंद्र में रखा है। हमारे तीज त्योहार और हमारी परंपरा यही तो हमारी पहचान हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि लघु वनोपजों के विक्रय के लिए नीति तैयार की गई है। इसका लाभ हुआ और लाकडाउन के दौरान पूरे देश में सबसे ज्यादा वनोपज छत्तीसगढ़ में बिका और इसका रेट भी अच्छा मिला। यहां काजू उत्पादकों से जयपुर के व्यवसायी 50 रुपए की दर से काजू ले जाते थे। सोसायटी के माध्यम से तात्कालिक रूप से सौ रुपए दर दिलाई गई जिसमें भविष्य में और अधिक राशि मिली। पांच हजार क्विंटल काजू बिका। कितनी बड़ी आर्थिक संभावना लोगों के लिए खुली।