नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आर भारत के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्य सह आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का कहना है कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को तत्काल आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कनने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना गलत था. अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब टिप्पणी को नजरअंदाज करने की नसीहत दी है.

पत्रकार अर्नब की जमानत याचिका पर बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि पिछले महीने महाराष्ट्र में एक व्यक्ति ने ये कहते हुए आत्महत्या कर ली कि सीएम उसे सैलरी देने में नाकाम रहे. अब आप क्या करोगे? मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करेंगे?

हरीश साल्वे ने कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. इस मामले में मई 2018 में एफआइआर दर्ज की गई थी. दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है.

पिछले दिनों R.BHARAT के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली थी. हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था.

बता दें कि अर्नब गोस्वामी ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के साथ ही अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था. अर्नब गोस्वामी को रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस ने मामले में बुधवार को गिरफ्तार किया था और वहां की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमोदिनी नाइक ने कंपनियों द्वारा बकाये का भुगतान न करने पर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले को अक्टूबर 2020 में अलीबाग पुलिस ने फिर से खोल दिया और दावा किया कि नए सबूत सामने आए हैं, जिससे आगे की जांच करना जरूरी हो गया है.