अखिलेश जायसवाल,रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 19 एकड़ में बने ऑक्सीजोन की आज से चार महीने पहले सौगात दी थी. जिसे 12 करोड़ की लागत से बनाया गया था. जिससे राजधानीवासियों को शुद्ध आबो-हवा के साथ सैर और भ्रमण का भरपूर आनंद उठा सके. लेकिन उनके अधिकारी ही इन योजनाओं पर पलीता लगाने में लगे है. ऑक्सीजोन में लोग शुद्ध हवा लेने आते है. जिससे वो तंदरुस्त रह सके, लेकिन यहां की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि लोग उल्टे बीमार होकर जाएंगे.

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि परिसर में चारों तरह गंदगी फैली हुई है. ऐसी बदहाल स्थिति है कि कोई सुध लेने वाला नहीं है. ऑक्सीजोन की संचालन की जिम्मेदारी वन विकास निगम की है. इस संबंध में जब डीएम पांडेय से बात की गई, तो वो वही रटा रटाया और गोलमोल जवाब देकर कन्नी काटते नजर आए.

मुख्यमंत्री ने खालसा स्कूल के सामने बने ऑक्सीजोन की हरियाली को बनाए रखने की बात कही थी, लेकिन ऑक्सीजोन की स्थिति तालाब की मेढ़क की तरह हो गई है. मानो उसे गंदगी ही पंसद हो. ठीक कुछ उसी तरह ही ऑक्सीजोन का हाल है. परिसर के अंदर-बाहर गंदगी का यह आलम है कि लोग अब यहां आने से भी कतराते हैं. जो पहुंच गया, तो समझो किसी तरह टहलकर निकल जाता है. अक्सर लोग ऑक्सीजोन के खुलने और बंद होने की टाइमिंग को लेकर परेशान रहते हैं, क्योंकि खुलने का समय ही निर्धारित नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाए, तो अब पहले जैसे वहां की आबो-हवा और रौनक बची नहीं है.

क्या हैं समस्याएं ?

  • ऑक्सीजोन के अंदर प्रॉपर लाइटों की व्यवस्था नहीं है और ज्यादातर लाइटें बंद रहती है. ऐसे में सांप-बिच्छू के काटने का खतरा बना रहता है.
  • ओपन जीम में ज्यादातर मशीनें खराब पड़ी है.
  • पूरे परिसर में गंदगी पसरा हुआ है, जहां जगह-जगह कूड़ा पड़ा है.
  • ऑक्सीजोन में कुल 5 गेट बनाए गए हैं, लेकिन खुलते सिर्फ दो ही है. बाकी सभी गेटों के सामने कचरा फैल रहता है.
  • गेट सुबह दो घंटे के लिए खोला जाता है. शाम को 5 से 8 बजे तक खोला जाता है. जब तक बहुत अंधेरा हो जाता है.
  • ऑक्सीजोन के भीतर एक छोटा सा तालाब भी है, जिसमें घरों का गंदा पानी भी आता है. उसे साफ करने या देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं है.
  • परिसर में जगह जगह कचरों का ढेर पडा हुआ है. तलब और नालों की सफाई की जाती है मगर कचरा वहीँ पर छोड़ दिया जाता है.

जगह-जगह नजर आते हैं प्रेमी जोड़े

ऑक्सीजोन में जगह-जगह प्रेमी जोड़े नजर आते हैं. प्रेमी जोड़ों की वजह से यहां टहलने आए लोगों को शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है. यहां इन्हें रोकने वाला कोई भी नहीं है. जिसे जो मन वह अपने हिसाब से काम करते रहता है.

पुलिस भी रहती है नदारद

ऑक्सीजोन में अंधरे की वजह से आए दिन अनहोनी की आशंका बनी रहती है. शराबी तत्व के लोगों का भी यहां जमावड़ा बना रहता है. जिससे किसी भी दिन यहां पर कोई अनहोनी हो सकती है. ऐसे में पुलिस को भी बीच-बीच में परिसर का चक्कर लगाते रहना चाहिए, किन पुलिस भी परिसर से नदारद रहती है.

इस मामले में जब हमने वन विकास निगम के डीएम पाण्डेय से बात की, तो उन्होंने कहा कि अभी उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. यानी गोलमोल जवाब देकर बचते नजर आए. इससे पहले जब एमडी राजेश गोवर्धन थे, तब तक व्यवस्थाएं ठीक थी. अब बदहाल हो गई है. यही वजह है कि ऑक्सीजोन में सुबह और शाम सैर करने के लिए पहुंचने वाले लोग कम हो गए हैं. इस सबंध में जब हमने एमडी पीसी पाण्डेय से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं पाया.