सुप्रिया पांडे,रायपुर। राजधानी रायपुर में कोरोना महामारी के दौरान एम्बुलेंस ड्राइवरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर संक्रमित मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम किया है. इसके बावजूद उन्हें आज तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. वेतन नहीं मिलने की वजह से करीब 40 ड्राइवरों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. दीपावली में भुगतान करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक वेतन नहीं मिला. कई ड्राइवरों ने घर के बर्तन बेचकर इस बार का त्योहार मनाया है.

सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर

एम्बुलेंस ड्राइवर निशू कुमार यादव का कहना है कि हर दिन 2 हजार रूपए की दर से भुगतान करने को कहा गया था. जिसके एवज में करीब 40 ड्राइवरों की ड्यूटी लगाई गई थी. हर जोन में 2 से 3 गाड़ियां लगी थी. कोरोना काल में संक्रमित मरीजों को लाने ले जाने का काम करते थे. लेकिन अभी तक सैलरी नहीं मिली है. दिवाली से पहले वेतन देने को कहा गया था, लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. हमने कई बार आरटीओ दफ्तर, कलेक्टोरेट के चक्कर लगाए, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

कोरोना महामारी में निभाई अहम भूमिका

ड्राइवर शिव कुमार यादव ने बताया कि काफी गंभीर कोरोना मरीजों को भी हमने अस्पताल छोड़ने का काम किया है. कई बार ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हो जाती थी कि उनकी तबीयत बेहद खराब हो जाती थी, जिन्हे डॉक्टर भी छूने से डरते थे. उन्हें हम गोद में उठाकर बिस्तर तक लेकर जाते थे. इतनी खराब स्थिति में भी हमने काम किया है. इसके बावजूद भी हमें सैलरी के नाम से इधर-उधर भटकाया जा रहा है.

बर्तन बेचकर बनाई दिवाली

ड्राइवर संतोष का कहना है कि पिछले 3 महीने से हमें सैलरी नहीं मिली है. हम किराए के घर में रहते हैं, उन्हें भी पैसा देना पड़ता है. मकान मालिक हमें घर खाली करने को कहते है. आरटीओ ऑफिस में कभी हमारा, तो कभी गाड़ी मालिक का पासबुक मंगाया जाता है. बर्तन बेचकर हमने इस बार दीवाली का त्यौहार मनाया है.

जिसके नाम से है आरसी, उन्हीं को होगा पेमेंट

इस मामले में आरटीओ ऑफिस में सहायक वर्ग 2 में कार्यरत कर्मचारी भरत सोनी का कहना है कि जिसके नाम से आरसी है, पेमेंट उसी को होना है. आरसी के साथ आधार कार्ड, पेन कार्ड, जीएसटी नंबर, पासबुक, फोटो और कांन्टेक्ट नंबर समेत जितने डाक्यूमेंट आरटीओ ऑफिस में मिलेंगे. उन सभी दस्तावेजों की कॉपी कलेक्टर ऑफिस में जमा करना होगा.

डेढ़ करोड़ का होना है भुगतान

उन्होंने कहा कि ड्राइवरों को सभी बातें साफ-साफ बताई गई है. जिस दस्तावेज की आवश्यकता हमें है, वो नहीं दे रहे है. ऐसे में भुगतान कैसे होगा. आदेश में जीएसटी नंबर का भी हवाला दिया गया है कि वो देना है. आज एक लेटर तैयार किया गया है जिसमें लिखा है कि जिसके पास जीएसटी नंबर नहीं है, क्या उन्हें भुगतान किया जा सकता है, क्योंकि छोटी-मोटी रकम का मामला नहीं है. डेढ़ करोड़ का मामला है.