दिल्ली। एक तरफ जहां लव जिहाद को लेकर भाजपा सरकारें कानून बनाने की तैयारी कर रही हैं वहीं इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है।
एक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार है। चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मर्म है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा की हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि जब कानून दो व्यक्तियों को शांतिपूर्वक साथ रहने की इजाजत देता है तो किसी को भी चाहे वह कोई व्यक्ति, परिवार अथवा राज्य ही क्यों ना हो, उनके रिश्ते पर आपत्ति करने का कोई अधिकार नहीं है।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा प्रियांशी उर्फ समरीन और नूरजहां बेगम उर्फ अंजली मिश्रा के केस में दिए गए फैसलों से असहमति जताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों में दो वयस्क लोगों द्वारा अपनी मर्जी से अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसले सही कानून को परिभाषित नहीं करते हैं। हर व्यक्ति को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। इसमें किसी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।