राज्य सरकार की तरफ से गृह राज्य मंत्री डीएस मिश्रा द्वारा सदन में पेश किए गए विधेयक का बीजेपी और कांग्रेस के सदस्यों ने उसके दंडात्मक प्रावधानों के कारण काफी विरोध किया। इसके बाद भी सरकार इसे पास कराने में सफल रही। दरअसल, ओडिशा आवश्यक सेवा (रख-रखाव) अधिनियम संशोधन विधेयक में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अवैध हड़तालों के लिए उकसाने और उसे फंडिंग करते हुए पाया जाता है तो उसे कारावास की सजा होगी। ये सजा एक वर्ष तक की हो सकती है। इसके साथ ही पांच हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस नए कानून में दमकल सेवा विभाग, आबकारी विभाग, वन विभाग, कारागार, सुधार और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई आवश्यक सेवा वाले विभागों में कार्यरत किसी भी व्यक्ति के हड़ताल पर रोक लगाने का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, विधेयक के पारित होने के बाद कर्मचारियों द्वारा बुलाई गई किसी भी हड़ताल को अवैध माना जाएगा और इस कानून का उल्लंघन होगा। जिससे हड़ताली कर्मचारी इसके प्रावधानों के तहत सजा भुगतेंगे।