मुंबई। 29 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से समुद्र के जरिए आए लश्कर-ए-तोएबा के दस आतंकवादियों ने मुंबई पर पूरे 60 घंटे तक कहर बरपाया था. इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों के साथ 160 लोगों की जान गई थी, वहीं अनेकोनेक लोग घायल हुए थे. 12 साल बीतने के बाद भी यह हमला भारतीयों के स्मृति पटल पर ताजा है.
इस आतंकी हमले में तत्कालीन एंटी टेरेरिज्म स्क्वाड (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे, आर्मी मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, मुंबई के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर अशोक काम्टे, वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर और सहायक उप निरीक्षक तुकाराम ओम्ब्ले ने आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे.
वहीं ताजमहज होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेराय ट्राइडेंट, लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और नरीमल हाउस ज्यूइश कम्युनिटी सेंटर कुछ ऐसे स्थान थे, जिन्हें आतंकवादियों ने अपना निशाना बनाया था. हमला करने वाले लक्शर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों में से 9 को पुलिस और सुरक्षाबल, जिसमें एनएसजी के कमांडो शामिल थे, ने मार गिराया था.
अजमल कसाब ही केवल ऐसा आतंकवादी था, जिसे जिंदा पकड़ने में सुरक्षाबलों को कामयाबी मिली थी. अदालत में चली लंबी प्रक्रिया के बाद उसे 21 नवंबर 2012 को फांसी की सजा देकर मुंबई हमले का पूरा एक अध्याय खत्म किया गया था. लेकिन अभी भी इस हमले का मास्टर माइंड लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख हाफिज सईद को सजा देना बाकी है.
पीएम मोदी ने शहीदों को किया नमन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26/11 की बरसी पर कहा भारत मुंबई हमले को कभी भूल नहीं सकता है. उन्होंने 80 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत नयी नीति-नयी रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है. मैं आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं.