रायपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ये संवेदनशील पहल सुदूर इलाकों के उन बच्चों के लिए सुनहरे भविष्य का रास्ता खोल रही है, जिनकी जिंदगी में तब अंधेरा छा गया था, जब तकनीकी दिक्कतों की वजह से नीट क्वालिफाई कर चुके होनहार छात्र-छात्राएं काउंसलिंग के लिए निर्धारित समय पर अपना पंजीयन नहीं करा सके थे. उन्हें अब प्रदेश के निजी काॅलेजों में पेमेंट सीट पर प्रवेश दिलाने के निर्देश दिए गए हैं. इन होनहार बच्चों का भविष्य अब सरकार संवारने जा रही है. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद यह पहली बार है कि एमबीबीएस के लिए निजी काॅलेजों के पेमेंट सीट में बच्चों को राज्य सरकार के खर्च पर दाखिला दिलाया जाएगा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि किसी भी बच्चे के भविष्य के साथ कोई समझौता नही होना चाहिए. उन्होंने प्रदेश के दूरस्थ आदिवासी अंचलों के ऐसे सभी होनहार बच्चों के एमबीबीएस मेें दाखिला के लिए जिला प्रशासन को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए है. दरअसल दंतेवाड़ा जिले के 27 होनहार छात्र-छात्राओं ने नीट क्वालिफाई तो किया, लेकिन जब बारी काउंसलिंग की आई, तब नेटवर्क संबंधित दिक्कतों की वजह से तय वक्त के पहले रजिस्ट्रेशन कराने में चूक गए. जिला प्रशासन ने भी दूसरी चरण की काउंसलिंग के दौरान इन छात्र-छात्राओं के रजिस्ट्रेशन की कवायद की, लेकिन सफलता नहीं मिली. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में जैसे ही यह जानकारी आई, उन्होंने तत्काल निजी मेडिकल काॅलेजों में पेमेंट सीट पर सरकारी खर्च से प्रवेश दिलाए जाने की पहल की.
इधर पहले चरण की काउंसलिंग में दो छात्रा कुमारी पदमा मडे और पीयूषा बेक एमबीबीएस में प्रवेश की पात्रता रखती हैं. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कलेक्टर दंतेवाड़ा द्वारा इन छात्राओं का प्रदेश के निजी काॅलेजों में दाखिला की कार्यवाही की जा रही है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आगे भी यदि इनमें से कोई छात्र कटअप के बाद प्रवेश के लिए पात्र पाया जाता है तो उन्हें भी निजी काॅलेजों की पेमेंट सीट पर दाखिला दिलाया जाएगा और इसका खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.