सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज दिल्ली दौरे पर जा रहे हैं. आज रात 9 बजे मुख्यमंत्री दिल्ली के लिए रवाना होंगे. दिल्ली में रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे. सत्ता और संगठन में होने वाली नियुक्तियों की जानकारी देंगे. दिल्ली जाने से पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से चर्चा में कई मसलों में अपनी प्रतिक्रिया दी.
सूची हाईकमान के पास भेजी जाएगी.
मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक पर भूपेश बघेल ने कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं चर्चा हुई. संगठन को मजबूत करने के लिए मीटिंग जरूरी थी. विस्तार से सभी मसलों पर चर्चा हुई है. बहुत जल्दी ही निगम मंडल के लिए बैठक होगी, इसमें नाम फाइनल कर सूची आलाकमान को भेज दी जाएगी.
पीछे दरवाजे से थोप दिया गया
केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ किसानों के जारी आंदोलन पर कहा कि कानून किसानों के लिए नहीं है, बल्कि पूंजीपतियों के लिए है. कानून की मांग ना किसी राजनीतिक दल की थी और ना किसी किसान संगठन ने. इसे पीछे दरवाजे से थोप दिया गया है. यही वजह है कि हर कानून के विरोध में किसान, आम जन सड़क पर उतर रहे हैं. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में विरोध के बाद ये आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो चुका है. केंद्र सरकार को किसानों के आगे झुकना ही होगा.
किसानों का हित सर्वोपरि
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित में हमेशा तत्पर है. यदि केंद्र सरकार बोनस नहीं देती है, या उनका जो भी फरमान होगा, उससे किसानों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जारी है. यदि कोई तकलीफ होती है तो हम अन्नदाता के साथ बातचीत करेंगे. केंद्र सरकार से यदि लड़ाई लड़नी पड़े तो भी लड़ी जाएगी. हमारे लिए किसानों का हित सर्वोपरि है.
कोरोना जाँच पर जोर
वहीं मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर कहा कि हमारी कोशिश है कि आंकड़े कम हो और टेस्टिंग ज्यादा हो, जितना टेस्टिंग ज्यादा होगा, उतने ही इसमें मौतों में कमी आएगी. इसलिए सभी से आग्रह है कोरोना के लक्षण थोड़े से भी नजर आते हैं, तो तत्काल जांच कराए. विलंब व इलाज में देरी होने से मौत की संभावना बढ़ जाती है. जांच ही एकमात्र कोरोना का उपाय है, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, हाथ धोते रहे, प्रत्येक व्यक्ति के जागरूकता के बिना यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती.
सुदूर क्षेत्रो में शिक्षा
उन्होंने कहा कि जो बस्तर के आदिवासी बच्चे हैं, किसी प्रकार से उन्हें सूचना नहीं मिली, बच्चों का वर्ष खराब ना हो, उन्हें शिक्षा मिले, बच्चे बस्तर में बड़ी मुश्किल से शिक्षा प्राप्त करते हैं. इसलिए ये फैसला लिया गया है.