दिल्ली। एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशन में रह रहे कपल को राहत देते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप देश में वैध है। इसलिए कोई इनके मामले में दखल नहीं दे सकता है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहाकि किसी भी व्यक्ति को दो वयस्क लोगों के बिना शादी किए लिव इन रिलेशनशिप में शांतिपूर्वक साथ जीवन व्यतीत करने के मामले में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इसे व्यक्ति का मौलिक अधिकार बताते हुए कहाकि, हर व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशन में रह रहे फर्रुखाबाद के एक जोड़े को संरक्षण देने और उनके जीवन में किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करने का आदेश देते हुए ये बात कही है।
दरअसल, फर्रुखाबाद की कामिनी देवी और अजय कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने लिव इन रिलेशन की विस्तृत व्याख्या की है। कोर्ट ने कहा कि दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह भारत में भी लिव इन को सामाजिक मान्यता नहीं है मगर दो लोगों के बिना शादी किए साथ रहने से कोई अपराध नहीं बनता है। कोर्ट ने याचीगण के शांति पूर्वक साथ रहने में किसी के हस्तक्षेप पर रोक लगाते हुए एसएसपी फर्रुखाबाद को निर्देश दिया है कि याचीगण के मांगने पर उनको पुलिस संरक्षण उपलब्ध कराया जाए।