हैदराबाद। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में इस बार जो नतीजे सामने आए हैं उसने नए समीकरणों के बनने और बिगड़ने के संकेत दे दिए हैं. क्योंकि इस चुनाव में भाजपा ने जहाँ फर्श से अर्श पर आकर दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है, तो वहीं कांग्रेस और गर्त में चली गई है. जबकि सर्वाधिक बुरा हाल तेललु देश पार्टी का है. लेकिन इन सबके बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भले तीसरे नबंर पर आई, लेकिन किंगमेकर की भूमिका में है.
दरअसल इस निकाय चुनाव को जिस अंदाज में बीजेपी लड़ी वह किसी भी मायने में विधानसभा या लोकसभा चुनाव से कम नहीं थी. इसका फायदा भी भाजपा को हुआ. भाजपा के बड़े नेताओं की रैलियों का असर इतना व्यापक हुआ कि बीजेपी 3 सीटों से सीधे 49 सीटों पर पहुँच गई.
भाजपा ने नगर निगम की कुल 150 सीटों में से 149 पर लड़ी और 49 सीटें जीतने में सफल रही. बीते चुनाव में भाजपा महज तीन सीटें ही जीत पाई थी. भाजपा को इस चुनाव में 16 गुना तक फायदा हुआ.
वहीं सर्वाधिक नुकसान टीआरएस को हुआ. टीआरएस बीते चुनाव में 99 सीटें जीतने में सफल रही थी, लेकिन इस बार टीआरएस सिर्फ 56 सीटें जीत पाई. इस तरह से उसे 45 सीटों का नुकास हुआ. यही 45 सीटें सीधे-सीधे बीजेपी की खातें में चली गई.
जबकि भाजपा की रणनीतिक प्रचार के बावजूद ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ. ओवैसी की पार्टी का प्रदर्शन अन्य दलों के मुकाबले सबसे अच्छा रहा. ओवैसी की पार्टी महज 51 सीटों पर चुनाव लड़ी और 43 सीटें जीतने में सफल रही. बीते चुनाव महज 1 सीटें कम. ओवैसी 43 सीटें जीतने के बाद तीसरे नंबर की पार्टी है. लेकिन वही अब किंगमेकर की भूमिका में है.
सर्वाधिक बुरी स्थिति कांग्रेस और तेलगु देशम पार्टी की रही. टीडीपी का तो यहाँ खाता तक नहीं खुल सका. दरअसल कांग्रेस 146 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ 2 सीट ही जीत पाई. वहीं टीडीपी 106 सीटों पर चुनाव लड़ी और खाता तक नहीं खोल पाई.