रायपुर। एकता परिषद ने छत्तीसगढ़ में शांति और न्याय की स्थापना के लिए सहयोग की पहल की है. एकता परिषद के जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में विचार विमर्श के बाद परिषद के संस्थापक राजगोपाल पीवी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की और उन्हें सहयोग की पहल संबंधी पत्र सौंपा. एकता परिषद ने राज्य में शांति मंत्रालय स्थापित करने की मांग भी प्रदेश सरकार से की है.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संबोधित पत्र में राजगोपाल ने लिखा है कि परिषद छत्तीसगढ़ में शांति और न्याय की स्थापना को लेकर प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. गौरतलब है कि इस समय तिल्दा के प्रयोग आश्रम में आयोजित शिविर में छत्तीसगढ़ के 20 जिलों से आए एकता परिषद के लगभग 60 जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ “छत्तीसगढ़ में स्वराज्य स्थापना “को लेकर विभिन्न संभावनाओं पर गहन चर्चा की गई.

इस दौरान जो महत्वपूर्ण सुझाव आए उसे राजगोपाल ने मुख्यमंत्री के साथ साझा किया. उन्होंने छत्तीसगढ़ में हिंसा से प्रभावित इलाकों में शांति की स्थापना के लिए दीर्घकालीन योजना के माध्यम से संपूर्ण छत्तीसगढ़ में शांति और अहिंसा की स्थापना का सुझाव दिया. इसके लिए छत्तीसगढ़ में “शांति मंत्रालय “की स्थापना की मांग एकता परिषद द्वारा की गई है.

परिषद ने बताया कि उनके सुझाव पर फिलहाल राजस्थान की सरकार में शांति विभाग ने काम करना शुरू किया है. एकता परिषद ने सुझाव दिया है कि छत्तीसगढ़ में सभी शैक्षणिक निकायों में “शांति और सद्भावना से संबंधित औपचारिक शिक्षा” सामाजिक न्याय के स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी. पाठ्यक्रमों में औपचारिक शिक्षा के रूप में इसकी अपार संभावनाएं हैं. इसके अलावा जेलों में “शांति और सद्भावना” विषय पर कैदियों और सम्बन्धित कर्मचारियों के साथ संवाद बेहद जरूरी है. एकता परिषद के कुछ साथी और सहयोगी संगठनों से इस संबंध में किए जाने वाले प्रयासों में मदद ली जा सकती हैं.

एकता परिषद ने छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी जी के मूल्यों के प्रचार प्रसार के लिए एक “गांधी भवन” की स्थापना का सुझाव दिया है, जिसके लिए विस्तृत योजना परिषद द्वारा प्रस्तुत की जाएगी. राजगोपाल ने मुख्यमंत्री को विश्वास दिलाया कि सरकार और एकता परिषद से जुड़े लोगों का मिला. जुला प्रयास निश्चित ही शांति और न्याय की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा.