रायपुर। किसानों के भारत बंद के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजीव भवन में प्रेसवार्ता ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तीनों केन्द्रीय कृषि कानून को काला कानून बताया है। पूरे देश में अभूतपूर्व स्थिति पिछले दो सप्ताह से दिल्ली को घेरकर किसान बैठे हुए हैं। देश के सभी किसान संगठनों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। मुख्य रुप से बात यही है कि बिना किसी संगठनों के मांग के बिना, बिना किसी राजनीतिक दल के विचार विमर्श के जो तीन काले कानून बनाए गए हैं। जिसे तथाकथित रुप से भाजपा किसानों के हितैषी कानून बताते हैं जबकि ये पूंजीपति के लाभ के लिए बनाया गया कानून है। जिसमें मंडी एक्ट को भी खत्म किया जा रहा है। दूसरा जो कान्ट्रेक्ट फार्मिंग, तीसरा आवश्यक वस्तु अधिनियम को विलोपित करने के लिए जो तीन कानून बने हैं। ये सीधा सीधा 62 करोड़ से अधिक किसान इस देश के जो अन्नदाता है उसके खिलाफ ये काले कानून हैं। इसका विरोध हम लोगों ने शुरु से किया है। इससे किसानों का भला नहीं होने वाला है।
यदि आप निजी क्षेत्र में मंडी देना चाहते हैं तो हम विरोध नहीं करेंगे। इसमें आप एक लाइन और जोड़ दीजियेकि कोई भी मंडी हो या मंडी के बाहर निजी मंडी हो या पैन कार्ड धारी हो वो समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी नहीं करेंगे। और सरकार पूरे देश में समर्थन मूल्य में अनाज खरीदी की व्यवस्था करे। लेकिन केन्द्र सरकार की हठधर्मिता अनेक दौर की बैठक केन्द्रीय मंत्रियों के साथ होने के बाद भी हजारों लाखों किसान सड़क पर बैठे हैं। पानी की बौछार और अश्रुगैस व लाठीचार्ज करने के बाद भी डटे हुए हैं। इसका पूरा समर्थन कांग्रेस पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर किया है। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस पार्टी ने इसका समर्थन किया। साथ ही विधानसभा में भी हमने विशेष सत्र बुलाकर यह मंडी अधिनियम है जो हम अपने छत्तीसगढ़ के किसाने के हित में कर सकते थे वो पारित किया। कांग्रेस पार्टी देश के किसानों के हित के साथ खड़ी है। एक समय था जब देश में अनाज की कमी थी और इंदिरा जी के आह्वान पर किसानों ने हरित क्रांति का आंदोलन चलाया। और आज स्थिति यह है कि पूरे देश की जनता को तीन साल तक अनाज की आपूर्ति किया जा सकता है, इतना एफसीआई के गोडाउन में अनाज भरा है। ये मेहनतकश किसानों की वजह से हुआ है। और आज वही किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि अनाज की कोई कीमत नहीं मिल पा रहा है।
बिहार में 700-800 रुपये क्विंटल में धान बिक रहा है, हमारे पड़ोसी राज्यों में भी हजार-ग्यारह सौ क्विंटल में बिक रहा है। और ऐसे स्थिति में समर्थन मूल्य आप साढ़े 1800 रुपये प्रति क्विंटल किया है तो फिर अन्नदाता 800 रुपये में कैसे बेच रहा है। आप आज जो कानून बना रहे हैं वो कानून 2006 से बिहार में पहले से लागू है। आपने वहां एपीएमसी कानून को समाप्त कर दिया मंडी को समाप्त कर दिया और सबसे बुरी हालत कहीं किसानों की है तो वह बिहार में है। यही हालत पूरे देश में होने वाला है। आज भारत सरकार कहती है कि समर्थन मूल्य का लाभ केवल 6 प्रतिशत किसानों को ही मिलता है, हम दावा करते हैं कि छत्तीसगढ़ में 94 प्रतिशत किसानों को धान का समर्थन मूल्य मिल रहा है, गन्ने का समर्थन मूल्य मिल रहा है, मक्के का समर्थन मूल्य मिल रहा है। और यहां हमने खरीदी की व्यवस्था की है। भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में यदि 15 साल का एवरेज निकालें तो 50 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खरीदी नहीं हुई। जबकि हमारे शासनकाल में पहले साल 80 लाख मीट्रिक टन, दूसरे साल 83 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा और इस साल खरीदी 85 से 90 लाख मीट्रिक टन पहुंचने की संभावना है बल्कि उससे भी ज्यादा हो सकता है। क्योंकि हमने इसकी व्यवस्था ऐसी की है। जो 2048 खरीदी केन्द्र थे उसे सोसायटी में कन्वर्ट किया है। इस साल 257 और खरीदी केन्द्र बढ़ाया है तो कुल मिलाकर 2300 से अधिक धान खरीदी केन्द्र है। बहुत नजदीक में खऱीदी की व्यवस्था की गई है। पेमेंट की भी व्यवस्था की जा रही है। बारदाना का बहुत संकट था उसके बाद हमने व्यवस्था किया है। बारदाने की कमी नहीं आने देंगे, भुगतान की भी व्यवस्था की जा रही है। जब छत्तीसगढ़ में जो व्यवस्था की जा सकती है तो वो व्यवस्था देश में क्यों नहीं की जा सकती। समर्थन मूल्य मे जब यहां खरीदा जा सकता है तो देश में क्यों नहीं खरीदा जा सकता है। यही अन्नदाता हैं जिसने देश की अर्थव्यवस्था को संभाला है। पूरे देश में जहां दूसरे क्षेत्र में डिग्रोथ था वहीं एग्रीकल्चर सेक्टर में 3.4 प्रतिशत का ग्रोथ रहा है। और यही एग्रीकल्चर सेक्टर है जहां हमने किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना का पैसा दिये, लघु वन उपज का खरीदी किये, तो पूरे देश में जहां मंदी का असर है, छत्तीसगढ़ में कोई मंदी का असर नहीं है बल्कि सितंबर माह में देखें तो 24 प्रतिशत जीएसटी का कलेक्शन किया, अक्टूबर महीने में 26 प्रतिशत हमने कलेक्शन किया। जो कि देश में सर्वाधिक है। तो हमारी जो अर्थव्यवस्था है छत्तीसगढ़ की वही पूरे देश में क्यों नहीं लागू किया जा सकता। और इससे किसानों का भला होगा अर्थव्यवस्था का भला होने वाला है देश का भला होने वाला है। ऐसे समय में किसानों को दबाने उसे कुचलने के बाद और बात करके समय काटने का काम नहीं करना चाहिए। किसान तो सीधा एक लाइन में हां या ना में बात ये तीन काले कानून आप खत्म कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। यह बात कर रहे हैं इसलिए किसान दिल्ली घेर कर बैठे हैं लेकिन भाजपा की केन्द्र में बैठी सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। किसान की हितैषी सरकार होती तो अभी तक जैसे अध्यादेश जारी कर काले कानून को लागू किया और बाद में राज्य सभा में बहुमत नहीं होने के बावजूद गलत तरीके से पास किया गया है। जब ये कानून देश के किसानों को पसंद नहीं है तो उसे क्यों थोपा जा रहा है।
माफी मांगते हुए कानून को वापस लेना चाहिए
पहले स्थिति यह थी कि अंग्रेज देश को लूटने का काम कर रहे थे अब ये केन्द्र में बैठी हुई सरकार के पूंजीपति साथी हैं वो देश के किसानों को लूटने की कोशिश कर रहे हैं। अभी तक आप ने रेलवे स्टेशन बेचा, हवाई अड्डा बेचा, जितनी पेट्रोलियम कंपनी है उसे बेच रहे हैं जितने भी नवरत्न जो नेहरू जी के समय इंदिरा जी के समय राजीव जी के समय जो बने थे उसे बेचने से आपका मन नहीं भरा तो अब आपकी निगाह किसानों के जमीन पर लगी हुई है, और यह किसान कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। देश का किसान उठ खड़ा हुआ है। और यह निर्णायक लड़ी जा रही है। मैं समझता हूं कि भाजपा को हठधर्मिता से काम नहीं लेना चाहिए। बल्कि किसानों की आवाज को सुनते हुए जो उन्होंने गलती की है तो देश से माफी मांगते हुए, किसानों से माफी मांगते हुए लोकसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस काले कानून को वापस लिया जाना चाहिए।
पूंजीपति साथी नाराज हो जाएंगे इसलिए डर रहे
संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जो कानून है उसकी मांग किसी किसान संगठन ने नहीं की थी, ना राजनीति संगठनों ने की थी। यह केवल आप पूंजीपतियों से बात कर इस कानून को लाया है। और पूंजीपति साथी नाराज हो जाएंगे इसलिए इस काले कानून को वापस लेने में डर रहे हैं।
कांग्रेस के घोषणा पत्र से उन्हें क्या लेना देना
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के आरोप पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दोगला तो भाजपा के नेता हैं, हमने जो घोषणा पत्र जारी किये थे उसे जनता ने नकार दिया था। फिर उस घोषणा पत्र का औचित्य क्या रह गया? यदि हमको मिलता तो हम ढंग से लागू करते। इन लोगों ने मंडल कमंडल किये थे, इन लोग भी आरक्षण की बात किये थे। इनके आरक्षण लागू करने से पूरे देश में आग लग गई थी। और वहीं जब हमारी सरकार आई और हमने आरक्षण लागू किया तो कहीं भी लाठीचार्ज नहीं हुआ, कहीं बंद नहीं हुआ था। काम करना कांग्रेस को आता है, किस प्रकार से करना है वो कांग्रेस के लोग अनुभवी हैं, जानते हैं। भाजपा झूठ बोलने की फैक्ट्री है ये लोगों को गुमराह कर रहे हैं अभी किसान गुमराह नहीं हो रहे हैं इसके धोखे में नहीं आ रहे हैं। निश्चित रुप से ये कानून काला कानून है इसे वापस लिया जाना चाहिए। और फिर कांग्रेस के घोषणा पत्र से उन्हें क्या लेना देना है, जनता ने आपको जनादेश दिया है आप अपना घोषणा पत्र लागू करें। आपके घोषणा पत्र में क्या था, पढ़ना तो उनको चाहिए। हमें मेन्डेंट मिलता तो हम लागू करते।
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