रायपुर। कई साल बंद रहने के बाद सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित गोलापल्ली में दोबारा खुले उप स्वास्थ्य केंद्र में जब 4 दिसम्बर को पहली किलकारी गूंजी तो नवजात के परिजनों के साथ पूरा अस्पताल स्टॉफ भी काफी खुश हुआ. गोलापल्ली उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए यह पहला मौका था जब वहां किसी नवजात की किलकारी गूंजी थी. दुर्गम और दूरस्थ इलाकों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की राज्य शासन की कोशिशें अब रंग ला रही हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इस दूरस्थ क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई वर्षों से बंद पड़े गोलापल्ली उप स्वास्थ्य केंद्र को दोबारा शुरू किया है. गोलापल्ली से चार किलोमीटर दूर जिन्नेलंका गांव में रहने वाली 23 साल की माड़वी नागमणि ने वहां प्रशिक्षित अस्पताल स्टॉफ की देखरेख में अपने दूसरे पुत्र को जन्म दिया.
अस्पताल में सुरक्षित माहौल में प्रसव से खुश माड़वी नागमणि के पति लखन माड़वी बताते हैं कि उप स्वास्थ्य केंद्र के दोबारा शुरू होने के बाद वे अपनी गर्भवती पत्नी की वहां नियमित जांच करवा रहे थे. स्वास्थ्य केंद्र में ए.एन.सी. पंजीयन के बाद चार बार जांच की गई. माता एवं शिशु के लिए उपयुक्त आहार की जानकारी भी महिला स्वास्थ्य कर्मी द्वारा दी गई जिसका उन्होंने पूरा पालन किया. मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले माड़वी ने बताया कि उनकी पत्नी को प्रसव की संभावित तिथि के अनुसार तीन दिन पहले अस्पताल में दाखिला मिल गया था. वहां जच्चा-बच्चा दोनों की अच्छी देखभाल की गई. स्वस्थ परिवेश में प्रसव से उन्हें किसी प्रकार के संक्रमण की भी चिंता नहीं थी.
माड़वी नागमणि कहती हैं कि इस बार अस्पताल में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में होने से जचकी के दौरान वह बिलकुल भी तनाव में नहीं थीं. स्वास्थ्य केंद्र में अपने बच्चे को जन्म देना सुखद और सुरक्षित अनुभव रहा. वे बताती हैं कि उनका गांव जिन्नेलंका गोलापल्ली से करीब चार किलोमीटर अंदर है. चार साल पहले बड़े बेटे के जन्म के समय क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं थी. उस समय खतरों के बीच घर पर ही प्रसव करना पड़ा. लेकिन इस बार दूसरी संतान के जन्म के समय उसे पूर्ण चिकित्सकीय परामर्श एवं सहायता मिली. यह उसके और उसके परिवार को काफी राहत भरा रहा. इस स्वास्थ्य केंद्र के दोबारा शुरू होने से गोलापल्ली जैसे दुर्गम क्षेत्र में अब संस्थागत प्रसव तथा बच्चों व गर्भवती महिलाओं के नियमित टीकाकरण के साथ ही अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेंगी.
‘शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव है लक्ष्य’
उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ स्वास्थ्य कर्मी बी.वी. रमनम्मा कहती हैं कि गोलापल्ली में इस केंद्र के दोबारा शुरू हो जाने से अब लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परामर्श के लिए दूर नहीं जाना पड़ रहा है. इससे लोगों को काफी राहत है। सुविधा नहीं होने से महिलाएं घर पर ही प्रसव करवाती थीं जिसमे माता व शिशु को संक्रमण का खतरा रहता है. अब प्रसव के लिए वे अस्पताल आ सकेंगी. यह गोलापल्ली उप स्वास्थ्य केंद्र में पहला संस्थागत प्रसव था. उन्होंने बताया कि क्षेत्र की महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. आने वाले समय में वहां संस्थागत प्रसवों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और स्थानीय महिलाएं सुरक्षित मातृत्व का आनंद ले सकेंगी.