दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में अब दादी माँ स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लेकर आएंगी. व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए दादी माँ लोगो को प्रेरित करेंगी. जिला प्रशासन और यूनिसेफ के नेतृत्व में इस अभिनव अभियान “बापी न उवैत” का शुभारम्भ दंतेवाड़ा में किया गया.

इस अवसर पर जिला कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि “हमारी बुजुर्ग महिलाओं और दादी के ज्ञान और अनुभव से लोगों को लाभ होगा. BAPI अभियान के तहत स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ावा देने के लिए दंतेवाड़ा की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को आधार बनाया गया है. यह अभियान “मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान” को मजबूत करेगा और जिले में कुपोषण और रक्ताल्पता को समाप्त करने में मदद करेगा.

छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख जॉब ज़करिया ने कहा कि “दादी के सहयोग से ग्रामीण स्तर पर, सामाजिक स्तर पर और व्यवहार में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया ‘बापी’ अभियान एक अभिनव मॉडल के रूप में उभर सकता है. इसे पूरे देश में क्रियान्वित जा सकता है. यह पहली बार है कि ग्राम स्तर के इन्फ्लुएंसर्स और संचारकों का एक कैडर बनाया गया है। कार्यक्रम की एक अन्य मुख्य विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत लोगों से संवाद करने के लिए हलबी और गोंडी जैसी स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया जा रहा है. ज़करिया ने कहा कि ‘बापी’ अभियान का उद्देश्य स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित 10 प्रमुख व्यवहारों को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि इससे जिले में कुपोषण, एनीमिया और बाल मृत्यु में कमी लाने वाली सरकारी सेवाओं की मांग बढ़ेगी. आज “बापी” पहल का एक मैस्कॉट और थीम गीत भी लॉन्च किया गया और साथ ही दो संचार वैन को हरी झंडी दिखाई गई.

कार्यक्रम के तहत जिले के प्रत्येक गांव में एक बापी/ दादी होगी, जो लोगों से मिलेंगी. स्वस्थ व्यवहार के बारे में उनसे बात करेंगी. महिला शक्ति केंद्र के ग्राम स्वयंसेवकों द्वारा बापी की सहायता की जाएगी. सीईओ जिला पंचायत अश्वनी देवांगन, C4D विशेषज्ञ यूनिसेफ अभिषेक सिंह , CMHO, जिला कार्यक्रम अधिकारी बिजेंद्र सिंह और 100 से अधिक बापियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया.