रुपेश गुप्ता, रायपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। प्रदेश सरकार ने मंडी लेबर चार्ज 6.2 से बढ़ाकर 17.19 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसे लेकर सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन नहीं होने से हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा था।

यह है मामला

धान खरीदी में आने वाले बहुत से मदों का भुगतान केंद्र सरकार करती है। उनमें मंडी लेबर चार्ज भी एक है। मंडी लेबर चार्ज के तहत धान खरीदी केंद्र में जो धान आता है, उसे बोरी में भरकर तौलने से लेकर रखने तक सारे कार्य मंडी लेबरों के द्वारा किया जाता है। जिसका उन्हें भुगतान किया जाता है। छत्तीसगढ़ में पिछले दफा साल 2009-10 में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर लेबर चार्ज 6.02 रुपया निर्धारित  किया था। केन्द्र सरकार इसी के आधार पर 10 सालों का महंगाई जोड़कर 6.43 रुपये की दर से भुगतान करते आई है।

वहीं केन्द्र सरकार अन्य राज्यों को भी उनके राज्य में निश्चित की गई दर के हिसाब से भुगतान करती है। जिसके अनुसार पंजाब को 29 रुपये प्रति क्विंटल, हरियाणा को 15.5 रुपये और केरल को 24 रुपये की दर से भुगतान किया जा रहा है।

जबकि छत्तीसगढ़ में सोसाइटियों का खर्चा करीब 19 रुपये आता है। इसमें से 4-5 रुपये का खर्च मार्कफेड वहन करती है। जबकि 14 रुपये सोसाइटी वहन करती है। राज्य सरकार 9 रुपये देती है बाकि की 5 रुपये की रकम सोसाइटियों को अपने पास से उठाना होता है।

इस पूरे मामले को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने 28 नवंबर 2020 को नोटिफिकेशन जारी करते हुए मंडी लेबर चार्ज 6.2 से बढ़ाकर 17.19 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

जानिये सरकार को हो रहा था हर साल कितना घाटा

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