रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पद की गरिमा के अनुरूप भाषा की मर्यादा बनाए रखने की नसीहत देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति के प्रतीक सुआ नृत्य को कमर मटकाने वाला नृत्य बताकर मुख्यमंत्री बघेल ने न केवल राज्य की सांस्कृतिक व पारम्परिक नृत्य शैली का अपमान किया है, अपितु छत्तीसगढ़ की उन लाखों माता-बहनों का अपमान भी किया है जो दीपावली व अन्य अनेक मौक़ों पर इस नृत्य से छत्तीसगढ़ की संस्कृति के गौरव का गुणगान करती हैं। मूणत ने कहा कि कोरिया ज़िले के पत्रकारों को दिए गए इस बयान से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस में सत्ता-संघर्ष के मचे घमासान से अब मुख्यमंत्री बघेल अब बेहद विचलित हो चले हैं और इस बौखलाहट में वे न तो अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति सम्मान दिखा रहे हैं और न ही पद की गरिमा व भाषायी मर्यादा का उन्हें कोई भान रह गया है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री मूणत ने कहा कि दरअसल मुख्यमंत्री बघेल भी उसी कांग्रेस के एक मुखौटा हैं, जिस कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति में महिलाओं के प्रति अभद्र टिप्पणियाँ करने का चलन रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री व सांसद डॉ. सरोज पांडेय के प्रति मुख्यमंत्री बघेल की टिप्पणी उनकी दूषित मानसिकता की परिचायक है। मूणत ने कहा कि भाजपा सांसद डॉ. (सुश्री) पांडेय ने दुर्ग ज़िले में सुआ नृत्य का भव्य आयोजन कराया था और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, उसे कमर मटकाने वाला आयोजन बताकर मुख्यमंत्री ने सुआ नृत्य की गरिमा और उससे जुड़ी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक भावना का जिस तरह अपमान किया है, उसके लिए उन्हें प्रदेश की जनता और विशेषकर नारी शक्ति से क्षमायाचना करनी चाहिए।

मूणत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परम्पराओं की दुहाई देकर रोज़ ढोल पीटते मुख्यमंत्री बघेल को नृत्य और ठुमकों के अंतर की समझ तो रखनी ही चाहिए। दुर्ग ज़िले का वह आयोजन नृत्य का था और ठुमके लगाकर कमर मटकाना उसे कहते हैं, जो हाल ही उनके ही एक राज्यमंत्री ने बार बालाओं के साथ उड़ते हुए नोटों के बीच लगाया था। डॉ. (सुश्री) पांडेय ने छत्तीसगढ़ की परम्परा व संस्कृति का परिचय कराने वह भव्य आयोजन रखा था और उसमें प्रदेश की माताओं-बहनों ने रिकॉर्ड संख्या में भाग लेकर उसे भव्यता और गरिमा प्रदान की थी, और मुख्यमंत्री बघेल को उसमें कमर मटकाना नज़र आ रहा है तो अब उन्हें सत्ता-संघर्ष से उपजे अपने मानसिक अवसाद के साथ-साथ अपनी नज़रों का इलाज भी कराना चाहिए ताकि महिलाओं के प्रति उनका नज़रिया वैसा ही न दिखे जैसा उनके एक मंत्री शिव डहरिया और फिर अब महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने दिखाया है।

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