हेमंत शर्मा, रायपुर। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को किसानों की सम्पन्नता के लिए लाया गया कानून है. उन्होंने कानून के विरोध में किए जा रहे किसान आंदोलन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस आंदोलन के पीछे ऐसे तत्व हैं, जिनको खेती किसानी से कोई मतलब नहीं है. आंदोलन में न केवल अर्बन नक्सली और टुकड़े-टुकड़े गैंग शामिल हैं, बल्कि आंदोलन को बढ़ावा दे रहे हैं.

पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि किसानों को मंच देने के लिए कृषि कानून लाया गया है एमएसपी को समाप्त करने की बात केंद्र सरकार ने कभी नहीं कही. उन्होंने कहा कि सरकार से बातचीत के बाद भी यह आंदोलन चलना समझ से बाहर है. दरअसल, आंदोलन ऐसे तत्व कर रहे हैं, जो देश में अराजकता पैदा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में किसानों की तरक्की के लिए कृषि कानून लाई. किसानों को अधिकार सम्पन्न बनाने का काम मोदी सरकार ने किया है. तीनों विधेयकों के माध्यम से मंडी राज को समाप्त किया गया है. मोदी की सरकार ने एमएसपी में वृद्धि की है.

उन्होंने कहा कि ये तीनों बिल किसानों का सम्मान बढ़ाने वाले बिल हैं. लेकिन कुछ तत्व किसानों के आंदोलन को समाप्त नहीं होना देना चाहते है. केंद्र सरकार ने किसानों के आशंकाओं को दूर किया है. किसानों से हमारा आग्रह है कि वे अपने आंदोलन को वापस लें. आंदोलन का रास्ता लोकतंत्र में खुला रहता है. कानून का असर क्या हो सकता है उसका किसानों को इंतजार करना चाहिए. उन्होंने देश भर के किसानों से आग्रह कि वो आंदोलन समाप्त करें और इन तीनों बिलों को लागू होने दें. 2 या 3 साल बाद ये नहीं हो पाए तो आंदोलन करना जायज होगा. उन्होंने कहा कि आंदोलन का रास्ता हमेशा खुला है. सरकार के द्वारा दिये गए आश्वाशन पर किसान विश्वास करें.

राजीव गांधी न्याय नहीं, अन्याय योजना

इधर छत्तीसगढ़ सरकार पर किसान आंदोलन को हवा देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को बधाई देता हूं कि वो समझदारी दिखा रहे हैं. उनको आज 1800 मिल रहा है, तो वो केंद्र सरकार के कारण मिल रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने मैं तो कहूंगा कि राजीव गांधी किसान योजना नही बल्कि राजीव गांधी किसान अन्याय योजना है. छत्तीसगढ़ में जिन किसानों ने आत्महत्या की, उन पर व्यक्तिगत लांछन लगाया गया. यह पूरे प्रदेश के किसानों का अपमान है. छत्तीसगढ़ सरकार कानूनों का विरोध करने के बजाय अपनी व्यवस्था को सुधारे.