कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी करीबन छह महीने बाकी है, लेकिन चुनावी हलचल अभी से शुरू हो चुकी है. ताजा दौर में सबसे ज्यादा नुकसान ममता बैनर्जी की पार्टी टीएमसी को उठाना पड़ रहा है, जहां अपना भविष्य संकट में देख एक के बाद एक बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा की ओर रुख करते नजर आ रहे हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के दाएं हाथ माने जाने वाले नंदीग्राम से विधायक सुवेंदु अधिकारी ने एक दिन पहले विधायकी से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद उनके गृह मंत्री अमित शाह की बंगाल यात्रा के दौरान भाजपा में शामिल होने की खबर चर्चा में है. सुवेंदु पहले ही ममता बैनर्जी मंत्रिमंडल से बतौर परिवहन मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं, इसके अलावा टीएमसी के तमाम पदों से भी इस्तीफा दे चुके हैं.
सुवेंदु अधिकारी ऐसे राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं, जिसमें उनके पिता शिशिर अधिकारी दो बार सांसद रह चुके हैं. और भाई दिबेंन्दु अधिकारी वर्तमान में तामलुकुंड से टीएमसी के सांसद हैं. पूरे अधिकारी परिवार का पश्चिम बंगाल के 40-45 विधानसभा सीटों पर दबदबा है, जिसमें पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, झारग्राम, मुर्शिदाबाद के बिरभूम का कुछ क्षेत्र शामिल है.
टीएमसी का पाला छोड़ने वालों में एक पांडेश्वर विधायक जितेंद्र तिवारी का भी है, जिन्होंने पार्टी पर आसनसोल के लिए काम नहीं करने देने का आरोप लगाते हुए टीएमसी के जिला सभापति का पद छोड़ने के साथ टीएमसी से नाता तोड़ने की बात कही. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है.
यही नहीं तृणमूल के कद्दावर नेता तथा बर्द्धमान पूर्व के सांसद व पूर्व मंत्री सुनील मंडल, डायमंड हार्बर के विधायक दीपक हल्दर, दुर्गापुर के विधायक विश्वनाथ पड़ियाल भी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत पर उतर आए. कई लोगों को प्रशांत किशोर के कामकाज का तरीका पसंद नहीं आ रहा है, वहीं कई लोगों को पार्टी में ममता बैनर्जी के भतीजे अभिषेक बैनर्जी के बढ़ते कद को लेकर नाराजगी है.