रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के गृहक्षेत्र कबीरधाम में भाजपा को लगातार झटके लग रहे हैं. पार्टी का झंडा उठाने वाले पंचायत स्तर के कार्यकर्ता लगातार कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. यहां रमन सिंह की वजह से  बीजेपी का संगठन पंचायत स्तर पर बेहद मज़बूत था. लेकिन अब अकबर ने इसमें सेंधमारी शुरु कर दी है. आलम ये है कि सितंबर से अब तक 9 बार कबीरधाम के स्थानीय स्तर के नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं.

क्षेत्र में काम करने वाले बताते हैं कि ये सिलसिला फिलहाल रुकने वाला नहीं है. माना जा रहा है कि डॉक्टर रमन सिंह पर लंबे समय तक जो कार्यकर्ताओं का विश्वास था, वो अब डगमगाने लगा है. उन्हें अपना भविष्य मोहम्मद अकबर और कांग्रेस के साथ रहने में दिख रहा है.

सबसे पहले बीजेपी को तगड़ा झटका तब लगा था जब 14 जुलाई को भाजपा में रहे लोधी समाज के प्रदेश अध्यक्ष रामफल कौशिक कांग्रेस में शामिल हो गए. इस इलाके के 56 गांवों में लोधी समाज का वर्चस्व है.

कोरोना काल में ये सिलसिला रुका रहा लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कुछ कम हुआ. कार्यकर्ताओं के कांग्रेस प्रवेश का सिलसिला फिर शुरु हो गया.

7 सितंबर को सहसपुर लोहारा के दस सरपंचों ने कांग्रेस का दामन थाम लिाय. उसके बाद 30 सितंबर को चिल्फी घाटी सरपंच पुर्णिमा बाइ पनरिया और रेंगाखार जंगल मंडल उपाध्यक्ष अनिरुद्ध दास पनरिया कांग्रेस में शामिल हो गए. पार्टी में आने के बाद उन्होंने अकबर के कार्यशैली की तारीफ की.

फिर अक्टूबर के महीने में तीन बार भाजपाईयों ने कांग्रेस का दामन थामा. 8 अक्टूबर को जनपद पंचायत सदस्य बिस्तन बाई मेरावी, पंचायत प्रतिनिधि और उपसरपंच कांग्रेस में शामिल हो गए. 19 अक्टूबर को भीराके सरपंच सहित गोरेलाल साहिल और बैगा समाज के लोग अकबर के समक्ष कांग्रेस में शामिल हुए. इसके बाद 21 अक्टूबर को बोड़ला के लूप और शीतलपानी के सरपंच और पंच कांग्रेस में आए.

4 नवंबर को 200 से ज़्यादा लोगों ने कांग्रेस का झंडा उठा लिया. इनमें चितपुरी, भंभोरी, चिल्फी बोईकचर के सरपंच और सहकारी समिति के सदस्य शामिल थे. 11 नवंबर को मनमिनिया जंगल के सरपंच, पंच और अन्य लोगों ने अकबर के यहां आकर कांग्रेस की सदस्यता ली. 25 नवंबर को बोड़ला-दरिया गांव के सरपंच और पंचों ने कांगेस का दामन थाम लिया. इसके अगले दिन अकबर के यहां राजनांदगांव के यहां खुज्जी विधानसभा के लोगों ने कांग्रेस प्रवेश किया.

कैडर वाली पार्टी के कार्यकर्ता और  काम करने वाले नेताओं के टूटने से पार्टी के पास ज़मीन पर काम करने वाले कार्यकर्ता लगातार कम होते जा रहे हैं. सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में बीजेपी के टूटने का सिलसिला और तेज़ होगा. बीजेपी के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.