लखनऊ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ललितपुर के सौजना में गायों की मौत पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है. प्रियंका ने पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल को अपनाने की सीख दी है. उन्होंने कहा कि इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार ‘गोधन न्याय योजना’ लागू कर बहुत अच्छी तरह से सुलझाया है.
ट्वीट कर लिखा कि उत्तर प्रदेश से आई मृत गायों की तस्वीरों को देखकर विचलित होकर मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिख रही हूं. प्रदेश की कई गौशालाओं में यही स्थिति है. इस समस्या को सुलझाने के मॉडल मौजूद हैं. गौमाता की देखभाल के घोषणाओं के साथ साथ योजनाओं को अमलीजामा पहनाना जरूरी है.
सीएम योगी को लिखा पत्र, पढ़िए क्या कहा-
ललितपुर के सौजना से आई गौमाता के शवों की तस्वीरों को देखकर मन विचलित हो गया है. अभी ये विवरण नहीं मिले हैं कि इन गायों की मौत किन परिस्थितियों में हुई है. लेकिन तस्वीरों से लग रहा है कि चारा-पानी न मिलने की वजह से ही मौत हुई हैं. देखकर लगता है कि कई दिनों की भूख और प्यास से धीरे-धीरे हुई पीडादायक मौतें हैं.
दुखद यह भी है कि यह इस तरह की पहली तस्वीर नहीं है. इससे पहले भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी तस्वीरें मिलती रही हैं. हर बार इन पर कुछ देर के लिए चर्चा होती है लेकिन इन मासूम जानवरों की देखभाल के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते. सवाल उठता है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
सत्ता में आने के समय आपने गौ-वंश की रक्षा और गौशालाएँ बनवाने की बात की थी लेकिन यास्तविकता यही है कि इस संदर्भ में आपकी घोषणाओं के बावजूद सरकार के प्रयास पूरी तरह से विफल रहे हैं. गायों की भलाई के नाम पर गौवंश की दुर्दशा की जा रही है. गौशालाएं खोली गई मगर सच यह है कि वहाँ गौ-वंश को चारा और पानी नहीं सिर्फ असंवेदनशीलता मिलती है. अष्ट अफसर व गौशाला संचालक पूर्णतः भष्टाचार में लिप्त हैं. पूरे प्रदेश में हर दिन न जाने कितनी गायों भूखी प्यासी मर रही हैं.
जहां गौशालाएं इस परिस्थिति में हैं. यहाँ आवारा पशु की भी भयंकर समस्या बनी पड़ी है. किसान पूरी तरह से हलकान हैं. वे रात-रात भर जागकर अपनी फसलों की रक्षा कर रहे हैं. फसलों की रक्षा के लिए उन्हें हजारों-लाखों खर्च कर खेतों की तारबंदी करवानी पड़ रही है.
गांधीजी गाय को करुणा का काव्य मानते थे. यह करोड़ों भारतीयों की मों है. वह मानते थे कि गौरक्षा का अर्थ केवल गाय की रक्षा नहीं है बल्कि उन सभी जीवों की रक्षा है जो असहाय और दुर्बल हैं.
कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ में इस मामले को ‘गोधन न्याय योजना’ लागूकर बहुत अच्छी तरह से सुलझाया है. शायद उनसे उप्र सरकार प्रेरणा ले सकती है और गाय के प्रति हम सब अपनी सेवा भावना को कायम रख सकते हैं. हम ऐसी भीषण परिस्थितियों में गायों को जीने और मरने को मजबूर होने से बचा सकते हैं और अपने किसानों की वास्तविक मदद भी कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना में गौवंश संवर्धन, खेती बाड़ी को दुरुस्त करने, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने, नदी-नालों को पुनर्जीवित करने, खुले में घूमते पशुओं की देखभाल, ऑर्गेनिक खाद बनाने इत्यादि के लिए कार्य किया जा रहा है.
- गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने दो रुपए किलो गोबर खरीदने की शुरुआत की है. अभी हर महीने औसतन 15 करोड़ रुपए का गोबर खरीदा जा रहा है.
- गौशालाओं के जरिए यह गोबर ख़रीदकर उसे वर्मी कम्पोस्ट में परिवर्तित किया जा रहा है. वर्मी कम्पोस्ट को आठ रुपए की दर से सरकारी एजेंसियों और निजी उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है। धीरे-धीरे गौशालाएँ आत्मनिर्भर हो रही हैं.
- गोधन न्याय योजना से दो लाभ हो रहे हैं। एक तो गोबर बेचने के लिए लोग अपनी गायों
को घरों पर रखकर चारा खिला रहे हैं. इससे पशुओं के आवारा घूमने पर रोक लगी है. दूसरा ऐसे पशु जिनके मालिक नहीं हैं, गौशालाओं में रखे जा रहे हैं.
- ‘गोधन न्याय योजना’ से लाभान्वित होने वालों में आधे से अधिक महिलाएँ हैं और बड़ी संख्या में पिछड़े वर्ग के बेरोजगार हैं.
मेरी आशा है कि आप भी गौवंश की सुरक्षा और भलाई चाहते हैं इसीलिए मैं आपको यह पत्र लिख रही हूँ ताकि हमारे प्रदेश में गौवंश के प्रति इस तरह का अत्याचार न हो. मैं समझती हूँ कि इन बातों से अवगत करना धार्मिक और नैतिक आधार पर मेरी ज़िम्मेदारी बनती है.