लखनऊ। कभी विकास के महरूम रहे गोरखपुर और महराजगंज की वनटांगियां बस्तियों के लोगों तक योगी आदित्यराज के शासन काल में अब विकास के फल मिलने लगे हैं. वजह बना है सुनहरी शकरकंद की खेती, जिसे मुंबई और अहमदाबाद तक के लोग पसंद कर रहे हैं। वनटंगियों के उगाए सुनहरी शकरकंदी की ख्याति इस बात से भी है कि बीते 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महराजगंज के वनटांगिया बस्ती बीट सदर के राम गुलाम से बात कर उनकी तारीफ करते हुए बाकी किसानों के लिए इसे नजीर बताया।

मालूम हो कि महराजगंज के वनटांगियों के एफपीओ ‘महराजगंज बेजीटेबल प्रोड्यूसिंग कम्पनी’ एवं गुजरात के अहमदाबाद जिले की कम्पनी ‘ट्यूबर फूड्स प्राइवेट लिमिटेड’ के बीच सुनहरी शकरकंद की खरीद के लिए मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन किया है। इसमें बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की बड़ी भूमिका रही। इन किसानों को मूल रूप से कीनिया की सुनहरी शकरकंद की खेती के लिए पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के वैज्ञानिक डॉ आरसी चौधरी ने प्रेरित किया था।

करीब 10 साल पहले डा. चौधरी ने केन्या से सुनहरी शकरकंद का बीज लाकर इसे उगाया, साथ ही गोरखपुर, संतकबीरनगर और महराजगंज के कई किसानों को इसकी खूबी (पौष्टिकता) को बताते हुए इसकी खेती के लिए तैयार किया। ‘महराजगंज वेजीटेबल प्रोड्यूसिंग कम्पनी’ के निदेशक रामगुलाब और टीम लीडर विनोद तिवारी ने पीआरडीएफ के डॉ आर सी चौधरी एवं बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिल कर 100 से अधिक किसानों को 80 एकड़ जमीन पर सुनहरी शकरकंद की खेती के लिए तैयार किया। इसकी खेती से जुड़े अधिकांश किसान वनटांगिया हैं।

करार के अनुसार, गुजरात की कंपनी महराजगंज के एफपीओ से 25 रुपये प्रति किलोग्राम उनकी उपज खरीद लेगी। फरवरी 2022 तक 200 टन और जून 2022 तक 200 टन सुनहरी शकरकंद की डिलिवरी देनी है। राम गुलाब के अनुसार, एक एकड़ में 70 से 80 क्विंटल सुनहरी शकरकंद का उत्पादन होता है। साल में दो बार इसकी बोआई होती है। अक्तूबर की फसल की 15 फरवरी तक और मध्य मार्च तक बोई गई फसल की जून मध्य तक तैयार हो जाती है। इस तरह साल में एक एकड़ में 140 से 160 क्विंटल की उपज मिल जाती है। ₹ 25 प्रति किलोग्राम की दर से बिकने पर किसानों को प्रति एकड़ करीब ₹2 लाख का लाभ होगा।