लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के किसानों के कर्ज माफ़ करने के साथ ही इस साल के शुरू में “मुख्यमंत्री किसान दुर्घटना बीमा योजना” में बटाईदार किसानों को शामिल करने संबंधी लिए गए फैसले का लाभ किसानों को मिला रहा है. राज्य के किसान अपने बच्चों को कृषि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ाने में रूचि ले रहे हैं. अब हर वर्ष कृषि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में किसानों के बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों की सबसे बड़ी संस्था कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा कृषि विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों में किसानों के बच्चों को पढ़ाई के लिए दी जा रही “मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना” के चलते यह बदलाव हुआ है. योजना के तहत मंडी परिषद ने कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे किसानों के 2690 बच्चों को वर्ष 2017 से अब तक 9.91 करोड़ रुपए छात्रवृत्ति के रुप में दिए हैं. इसके साथ ही मंडी परिषद तीन कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रों के लिए छात्रावास भी बनवा रहा है.

किसानों के बच्चों की पढ़ाई के लिए राज्य में ही इस तरह की पहल शासन ने की है. मंडी परिषद द्वारा किसानों के बच्चों की पढ़ाई को लेकर उठाये जा रहे ऐसे कदमों के चलते ही सूबे के किसान अब अपने बच्चों को कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसकी मुख्य वजह मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना, मुख्यमंत्री खेत-खलिहान अग्निकांड दुर्घटना सहायता योजना, मुख्यमंत्री कृषक उपहार योजना और मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना जैसी मुख्यमंत्री कृषक कल्याणकारी योजनाएं शामिल है.

मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना के तहत कृषि विश्वविद्यालय और कृषि महाविद्यालय में पढ़ने वाले किसानों के बच्चों को तीन हजार रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति के रूप में दिए जाते हैं. पहले इस योजना के बारे में किसानों की जानकारी नहीं थी, इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना का प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया. राज्य के तमाम कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि महाविद्यालय में आज कृषि स्नातक, होम साइंस स्नातक, कृषि सन्नातकोत्तर, होम साइंस सन्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे किसान के सैकड़ों बच्चों को छात्रवृत्ति मिल रही है.

मंडी परिषद के अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना के तहत वर्ष 2017-18 से अब तक कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि महाविद्यालय में पढ़ रहे किसानों के 2690 बच्चों को 9.91 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के रूप में दिए गए हैं, जिसमें वित्तीय वर्ष 2020-21 में बीते महीने तक 1.40 करोड़ रुपए 368 छात्रों को छात्रवृत्ति के रुप में दिए गए. इस अलावा मंडी परिषद कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे छात्रों के रहने की उचित व्यवस्था करने के लिए चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या तथा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा में कृषक छात्रावास का निर्माण करा रहा है. तीनों छात्रावासों के निर्माण में 20.12 करोड़ की लागत आ रही है. प्रत्येक छात्रावास में 50 कमरे होंगे और उनमें 100 छात्र रह सकेंगे.

नई मंडी बन रही, किसानों से धान भी खरीद जा रहा

किसानों के बच्चों को कृषि शिक्षा की पढ़ाई में बढ़ावा देने के साथ ही मंडी परिषद किसानों के उत्पाद को मंडियों में बेचने के लिए 27 मंडियों को आधुनिक रूप देने का कार्य भी कर रहा है, जिसके तहत 306 करोड़ रुपए की लागत से इन मंडियों में राइपिंग चैंबर, कोल्ड चैंबर तथा अन्य आधुनिक सुविधाओं को निर्माण कराया जा रहा है. यही नहीं मंदी परिषद छह नए मंडी स्थल भी बना रहा है. इसके अलावा पहली बार मंदी परिषद किसानों से धान खरीद रहा है। एक लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.

कोरोना संकट के दौरान की लोगों की मदद

कोरोना संकट के दौरान जब सारे उद्योग बंद थे, तब मंडी परिषद किसानों तथा राज्य की 220 मंडियों में कार्यरत पल्लेदारों और श्रमिकों की मदद के लिए आगे आया था. मंडी परिषद के प्रयासों से प्रदेश सरकार ने 70 हजार से अधिक पल्लेदार और श्रमिकों के बैंकखातों में एक हजार रुपए हस्तांतरित किये थे. इसके अलावा इन श्रमिकों को मास्क, सेनेटाइजर, खाद्यान एवं तैयार भोजन भी निशुक्ल उपलब्ध कराया था. इसके अलावा स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 40 हजार से अधिक ई-रिक्शा और ठेलों के जरिये फल तथा सब्जी की डोर स्टेप डिलेवरी ही मंडी परिषद ने कराई थी.