श्याम अग्रवाल, खरोरा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरोरा हमेशा से विवादों में रहा है. स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी बदले जाने के बाद भी अस्पताल की किस्मत नहीं बदली है. यहां 4 एमबीबीएस पदस्थ है. उसके अलावा 1 आरएमए, 1 आयुष मेडिकल ऑफिसर व 1 डेंटिस्ट की पोस्टिंग है. जबकि 4 एमबीबीएस डॉक्टर में से एक की कोविड के चलते रायपुर में ड्यूटी लगी है. उसके बाद भी बाकी तीन डॉक्टर अपनी डयूटी नहीं कर रहे. लोगों को चिकित्सक के अभाव में निजी अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है.

अस्पताल में डॉक्टर न होने की शिकायत शुरू से है, अभी कुछ दिनों पहले रात्रिकालीन में एक आपातकालीन स्थिति में एक व्यक्ति को अस्पताल लाया गया व डॉक्टर न होने की वजह से उसके परिजनों के द्वारा महिला स्टॉफ के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया.

वहीं कुछ दिन पहले एक शासकीय कर्मचारी को सांप ने काट लिया व उसे खरोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया. जहां इंजेक्शन न होने के चलते उसकी मौत हो गई.

वहीं कुछ दिन पहले खरोरा के समीपस्थ ग्राम बेलदारशिवनी में दो गुटों के बीच लड़ाई हो गई. इसमें एक व्यक्ति को चाकू मार दिया गया, तब उसे प्राथमिक उपचार के लिए खरोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, वहां ईलाज करने की तो दूर की बात उस व्यक्ति को मृत घोषित करने के लिए कोई नहीं था.  बाद में वहां मौजूद नर्स ने उसे मृत घोषित किया. अब सवाल यह उठता है अगर वह मरीज जीवित रहता तो उसका ईलाज कैसे होता? औऱ कौन करता? यह सिर्फ अस्पताल की इतनी ही शिकायत नहीं है इसके अलावा खरोरा समुदयिक स्वस्थ्या केंद्र की इससे भी बुरी स्थिति बनी हुई है.

 

संक्रमण को बढ़ावा देता अस्पताल का वेस्ट मटेरियल

अस्पताल के चारों ओर गंदगी का नजारा ऐसा है मानो अस्पताल नहीं किसी ड्रेनेज स्टोरेज एरिया में आ गए हो. लैब में इस्तेमाल किये हुए इंजेक्शन, डिलवरी के समय इस्तेमाल किया हुआ कपड़ा, खून से सना कपड़ा, एक्सपायरी दवाइयां सब ऐसे ही चारों ओर फेंके गए है. वहीं अस्पताल में बाउंड्रीवाल नहीं है. उसके अलावा अप्सताल के पीछे झुग्गी झोपड़ियां है, जहां बच्चे खेलते भी है. उसके बाद भी अस्पताल प्रशासन अपनी लापरवाही से बाज नहीं आ रहा है. लगातर समाचार के द्वारा व लोगों की शिकायत के बाद भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है.

जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर उठे सवाल ?

खरोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जीवन दीप समिति के अंतर्गत कार्य होता है, उस समिति की अध्यक्ष धरसींवा विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा व समिति में नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सोनी, उपाध्यक्ष पन्ना देवांगन व कई पार्षद भी है. उसके बाद इतनी बड़ी लापरवाही के बाद उनका मौन रहना भी सवालों के घेरे में हैं

अधिकारी दे रहे सिर्फ आश्वासन

मुख्य चिकित्सा अधिकारी मीरा बघेल  व आशीष सिन्हा से कई बार इसकी शिकायत की गई व हर बार उनके तरफ से आश्वासन दिया गया कि जल्द अस्पताल की हालत सुधरेगी जो अभी तक नहीं सुधरी है.

विधायक के कड़े शब्दों का भी नहीं हुआ असर

क्षेत्रीय विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा द्वारा कड़े शब्दों में कहा गया था कि जल्द अस्पताल में चिकित्सकों की भर्ती की जाए व जो चिकित्सक है वह अपनी ड्यूटी पूरी करे पर उसका भी कोई असर नहीं हुआ औऱ अस्पताल के हालात बद से बदतर हो गए है.

जल्द सुधरेगी व्यवस्था : शर्मा

विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा ने कहा अभी तक अस्पताल के हालात नहीं बदले है, अब वह स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से चर्चा कर जल्द अस्पताल की स्थिति में सुधार लाएगी.