रायपुर- राज्य में धान खरीदी संकट के बीच सियासी तल्खियां बढ़ गई हैं. केंद्र सरकार से 24 लाख मीट्रिक टन चावल लिए जाने के फरमान को कांग्रेस ने बीजेपी का षडयंत्र करार दिया है, वहीं बीजेपी भूपेश सरकार पर आरोप लगा रही है कि हर रोज किसानों के सामने नई बहानेबाजी कर 2500 रूपए की दर से खरीदी का नाटक किया जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा कि क्या कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी या केंद्रीय खाद्य मंत्री से पूछकर 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा किया था? समर्थन मूल्य पर खरीदी की पाॅलिसी केंद्र सरकार की पहले से बनाई हुई है. यह आज की नहीं है. इन्हें भी यह मालूम है.
ये बार बार यह कहते रहे कि हम अपने बलबूते पर एक-एक दाना धान ख़रीदेंगे. कोई मदद करे या ना करे. यहां बैठे-बैठे चिट्ठी लिखने और पेपरबाजी करने से केंद्र की नीतियां नहीं बदली जा सकती. डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री कहते हैं कि रमन गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं. दूसरी तरफ वह खुद बार-बार बयान बदलकर छत्तीसगढ़ की जनता के बीच गलतफहमी पैदा कर रहे हैं. तीन दिन पहले केंद्र सरकार का विरोध कर रहे थे, आज धन्यवाद दे रहे हैं. रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिखा था कि 2500 रूपए में धान खरीदी करेंगे, लेकिन अभी तक पिछले साल हुई खरीदी का पैसा अब तक किसानों को नहीं दिया है. राज्य में धान खरीदी की पूरी व्यवस्था चौपट करने की जिम्मेदारी सरकार की है. आज सोसाइटी पूरी तरह से जाम हो गई है. यह जाम क्यों हुई? क्या यह फूड के अधिकारी नहीं जानते या मुख्यमंत्री को यह समझ नहीं आ रहा है. राज्य में जितनी भी सोसाइटी है, वहां से धान लिफ्ट कर संग्रहण केंद्र तक ले जाना चाहिए. हमारी सरकार के दौरान हमने 35 लाख मीट्रिक टन क्षमता का संग्रहण केंद्र बनाया है, लेकिन इस साल चल रही खरीदी में अब तक महज ढाई लाख मीट्रिक टन धान का ही परिवहन हो पाया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बफर लिमिट दस फीसदी से ज्यादा कभी नहीं होता, हमने 15 साल तक खरीदी की है. आज बफर लिमिट 40 फीसदी है, कहीं 60 फीसदी है. यह सैद्धांतिक सहमति है कि बफर स्टाॅक दस फीसदी से कम रखा जाए, लेकिन जानबूझकर भूपेश सरकार ने पूरी सोसाइटी को ही ब्लाॅक कर रखा है.
किसान ये सब भूलने वाला नहीं- रमन
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा कि राज्य में यदि कुछ अच्छा होता है, तो वह भूपेश सरकार के हिस्से में जाता है, लेकिन खराब होता है, तो केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ दिया जाता है. इस तरह की राजनीति ठीक नहीं है. किसी राज्य और केंद्र के बीच ऐसी स्थिति नहीं देखी. राज्य का किसान आज संकट में है. ये सरकार बारदाना की खरीदी नहीं कर सकी. किसान हर रोज रो रहा है. किसान ये सब भूलने वाला नहीं है. हर रोज सरकार नए बहाने के साथ किसानों को भटका रही है. पंजाब में दो करोड़ लाख मीट्रिक टन खरीदी होती है, यूपी में कहीं संकट नहीं है. आज देश में अकेला छत्तीसगढ़ है, जहां धान खरीदी में 40 लाख मीट्रिक टन आते-आते सरकार हांफने लगती है. बारदाने की आड़ में ये सरकार समय खराब कर रही है, जिससे खरीदी की जिम्मेदारी से बचा जा सके.
22 लाख मीट्रिक टन चावल की जरूरत सिर्फ पीडीएस के लिए होगी
केंद्र ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लिए जाने की अनुमति पहले दी थी, लेकिन राजीव गांधी न्याय योजना को अंतर की राशि मानते हुए केंद्र ने महज 24 लाख मीट्रिक टन ही लिए जाने का फरमान भेजा है. इस पर डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि पीडीएस के लिए ही राज्य को 22 लाख मीट्रिक टन चावल की जरूरत होगी. गरीबों को चावल देने का मतलब ही यह होता है कि करीब 30 से 32 लाख मीट्रिक टन धान इसमें खप जाएगा. जब सरकार को कुल मिलाकर 90 लाख मीट्रिक टन धान ही खरीदना है, तो तरह-तरह की बहानेबाजी की क्या जरूरत है. सरकार कह दें कि हम इतनी ही खरीदी कर सकते हैं. रमन सिंह ने कहा कि संग्रहण केंद्रों में पिछले साल का रखा धान पड़े पड़े सड़ गया, लेकिन उसकी मीलिंग की अनुमति सरकार ने नहीं दी. पैसों की बंदरबांट का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है. किस-किस जिलों में कितना धान खराब हुआ है, यह रिकार्ड में है. धान सड़ने की जिम्मेदारी कलेक्टर की है, दूसरे अधिकारियों की है. राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी तय कर ऐसे अधिकारियों को सजा देनी चाहिए, लेकिन मिलरों पर डंडा किया जा रहा है. सड़े हुए धान की मीलिंग कौन करता है?
बीजेपी किसानों के साथ करेगी आंदोलन
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा है कि सरकार पहले यह जवाब दे कि एफसीआई को पिछले साल जमा करने वाला 24 लाख मीट्रिक टन चावल कहां गया? धान खरीदी की व्यवस्था के लिए आरबीआई के जरिए मिलने वाली नौ हजार करोड़ की राशि का क्या हिसाब है? यह आरबीआई से चार महीनों के लिए मिलने वाली ब्याजमुक्त राशि होती है, जब धान का पैसा वापस आ जाता है, तो इसे वापस किया जाता है. ये हर साल मिलने वाली राशि है. रमन सिंह ने कहा कि बीजेपी किसानों के साथ खड़ी है. हम किसानों के साथ मिलकर न केवल उनकी दिक्कतों को दूर करने की दिशा में पहल करेंगे, बल्कि आंदोलनात्मक कदम उठाते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे.