रायपुर। छत्तीसगढ़ में 10 जनवरी को 40 किलोमीटर का एक लंबा मार्च निकाला जा रहा है. यह मार्च भिलाई से रायपुर तक छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच की ओर से निकाला जा रहा है. इस मार्च को स्वाभिमानी छत्तीसगढ़ियों का “भिलाई से रायपुर मार्च” नाम दिया गया है.
मार्च की शुरुआत भिलाई स्थित पॉवर हाउस में अंबेडकर चौक से दोपहर 1 बजे होगी. यह मार्च शाम तक रायपुर पहुँचेगा और बूढ़ातालाब धरना स्थल पर एक बड़े प्रदर्शन में तब्दील हो जाएगा. इसके बाद प्रतिनिधियों का एक दल राजभवन पहुँचेगा. संयोजक राजकुमार गुप्ता का कहना है कि 1951 की जनगणना और महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड आदि राज्यों की तर्ज पर डोमिसाईल नीति बनाने और नाम बदलकर छत्तीसगढ़िया पहचान मिटाने की जो कोशिश हो रही उसे रोक लगाने की मांग राज्यपाल से करेंगे.
राजकुमार गुप्ता का कहना है कि नगर निगम भिलाई के 17 जुलाई 2020 की साधारण सभा की बैठक में निगम क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन ताआबों का नाम परिवर्तित करके नया नामकरण करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इस कड़ी में ग्राम नवागांव, सेक्टर-2 भिलाई के शीतला तालाब का नाम बदलकर छठ तालाब और ग्राम कोसा नेहरू नगर के भेलवा तालाब का नाम बदलकर नानक सरोवर कर दिया गया है. कुछ साल पहले इसी तरह से रायपुर के बूढ़ा तालाब का नाम विवेकानंद सरोवर कर दिया गया था. प्रदेश के अन्य जिलों में भी पुराने तालाबों एवं स्मारकों का नाम बदलने की घटनाएं हुई है. यह छत्तीसगढ़ के पहचान को विलोपित करने का कुप्रयास है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता. अतः इस मामले में दखल देकर के पुराने नामों को ही स्थापित रखा जाए.
गुप्ता की माने तो मध्यप्रदेश राज्य के समय निर्धारित की गई डोमिसाईल नीति छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भी आज तक वही नीति जारी है. छत्तीसगढ़ की डोमिसाईल नीति इतनी लवर और कमजोर है कि अन्य प्रांत के निवासी आसानी से छत्तीसगढ़ निवासी प्रमाण पत्र बनाने में और इसके आधार पर छत्तीसगढ़ के संशाधनों का उपभोग करने में कामयाब हो जाते है और वास्तविक छत्तीसगढ़ निवासी राज्य के संशाधनों का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, जबकि बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों की डोमिसाईल नीति इतनी कठोर है कि किसी भी स्थिति में अन्य राज्य के निवासी उन राज्यों के संशाधनों का लाभ प्राप्त नहीं कर सकते.