रायपुर- छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर छिड़ी सियासत के बीच कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक अभियान छेड़ रखा है, इस अभियान का नाम है, ‘मेरा धान-मेरा अभिमान’. मकसद है कि राज्य के किसानों के हालातों को केंद्र सरकार तक पहुंचाना. इस अभियान के जरिए मोदी सरकार को किसान विरोधी करार दिया जा रहा है. बीजेपी ने कांग्रेस के इस अभियान पर सवाल उठाया है. पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा है कि, यह अभिमान की बात तब होती, जब सरकार राज्य के किसानों से 90 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी करती, लेकिन सरकार किसानों को रूला, रूला कर धान ले रही है.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि, धान हमारा अभिमान है, गौरव है, लेकिन राज्य के किसानों की हालत बेहद खराब है, किसान रो रहा है, आत्महत्या कर रहा है. किसान के घर धान पड़ा है, सूखत में खराब हो रहा है. पिछले साल का पेमेंट जो बाकी है उसकी आखिरी किस्त किसानों को अब तक नहीं दी है. यह कैसा अभिमान हैं. उन्होंने कहा कि किसान यह सब देख रहा है, किसान यह सब भूलेगा नहीं, सब याद रखेगा. तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते बोनस की मांग को लेकर केंद्र को लिखे पत्र पर कांग्रेस के निशाने पर घिरे डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा कि, कांग्रेस ने घोषणा पत्र में 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा किया था. दो साल का बकाया बोनस किसानों को दिए जाने का वादा किया था. ये उनका वादा था और इसके लिए पत्र डाॅक्टर रमन सिंह लिखे? विषय यह है कि वादा आपने किया था, वादा पूरा करने की जिम्मेदारी आपकी है. बहानेबाजी नहीं की जानी चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा कि सरकार बारदाना की कमी का रोना रोकर खरीदी को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. पंजाब जैसे राज्य में दो लाख मीट्रिक टन धान और गेंहू की खरीदी होती है, लेकिन बारदाने का कहीं कोई झंझट नहीं होता. सरकार यहां प्रक्रिया का पालन नहीं करती. 15 सालों तक सरकार में रहते हुए हमने भी धान खरीदी की है, जब हम धान खरीदी करते थे, तब आखिर क्यों संकट नहीं आया. बारदाने की खरीदी अब क्यों हो रही है. दरअसल इनकी व्यवस्था ही सही नहीं है. मैनेजमेंट सही नहीं है. धान खरीदी की व्यवस्था के लिए एनसीडीसी से नौ हजार करोड़ रूपए का फंड मिलता है. सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है. सरकार की अव्यवस्था की वजह से सभी सोसाइटियां जाम पड़ी है. अब सवाल उठा रहे हैं डाॅक्टर रमन सिंह दिल्ली क्यों नहीं जा रहे हैं. हम भी यही चाहते हैं कि धान खरीदी सुचारू रूप से चलती रहे, लेकिन सरकार पहले इसकी व्यवस्था दुरूस्त करे.

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