रायपुर। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों के साथ आंदोलन में शामिल होने जा रहे छत्तीसगढ़ के किसानों को दिल्ली के पास ही पलवर में हरियाणा पुलिस रोक दिया. आगे जाने से रोके जाने पर किसानों ने अन्य राज्यों के किसानों के साथ हाइवे पर ही धरने पर बैठ गए.

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले छत्तीसगढ़ से करीब 200 किसान 7 जनवरी को दिल्ली के लिए रवाना हुए थे. इन किसानों के जत्थे का नेतृत्व तेजराम विद्रोही, दलबीर सिंह, गजेंद्र कोसले, नवाब गिलानी, ज्ञानी बलजिंदर सिंह, अमरीक सिंह और सुखविंदर सिंह सिद्धू ने बताया कि किसान जत्था देर रात दिल्ली के निकट हरियाणा के पलवल के पास पहुंच गया, जहां जत्थे को हरियाणा पुलिस ने रोक दिया. इसके बाद किसानों ने वहीं पर अपना धरना शुरू कर दिया.

पलवल जिले के राजमार्ग क्रमांक 19 पर ग्राम बरहोला के निकट महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड उत्तरप्रदेश, उड़ीसा के किसानों को गत 3 जनवरी से यही पर रोका गया है. किसानों ने राजमार्ग पर ही तम्बू तानकर अपने रहने खाने सोने की व्यवस्था कर ली है. एक टेंट में किसानों द्वारा क्रमिक भूख हड़ताल भी जारी है. इसी दौरान देशभर के किसान अपनी सभा कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के किसानों के सम्मान में किसान सभा की अध्यक्षता बालोद जिला किसान संघ के महासचिव वरिष्ठ किसान नेता नवाब जिलानी को सौंपी गई. सभा को तेजराम विद्रोही, गजेंद्र सिंह कोशले, लीलाधर, छात्र संगठन के टिकेश कुमार, आदि ने संबोधित किया. सभी किसान नेताओं ने छत्तीसगढ़ के किसानों की ओर से अपना संकल्प दोहराया कि जब तक काले वापस नहीं, तब तक घर वापस नहीं जाएंगे. देर शाम छत्तीसगढ़ के किसानों की बैठक अन्य प्रदेश के किसान नेताओं के साथ हुई, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सदस्य शिव कुमार शर्मा कक्काजी विशेष रूप से सम्मिलित हुए.