मनोज यादव, कोरबा। बालको क्षेत्र में संचालित एक निजी अस्पताल में 5 वर्ष के दिव्यांश की जिंदगी चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई. परिजन ने लापरवाही से मौत होने का आरोप लगाया है. एक महिला सहित तीन चिकित्सकों पर अपराध दर्ज कर लिया गया है.
बालको थाना क्षेत्र के बेलगरी बस्ती लालघाट वार्ड क्रमांक 34 के निवासी मनोज केंवट 5 वर्षीय पुत्र दिव्यांश को हार्निया की शिकायत पर जिला चिकित्सालय में 6 जनवरी को उपचार कराने ले गया था. डॉ. प्रभात पाणिग्रही ने बच्चे का सोनोग्राफी कराया. 8 जनवरी को रिपोर्ट देखने के बाद हार्निया होने की जानकारी देते हुए ऑपरेशन करने की आवश्यकता बताई. उन्होंने खुद को इस रोग का विशेषज्ञ बताया. साथ ही बालको क्षेत्र में संचालित निजी आयुष्मान क्लीनिक में ऑपरेशन करने की बात कह वहां भेज दिया. लेकिन बच्चे के पिता मनोज व मां रत्ना केंवट ने बच्चे की जान को खतरा होने की आशंका व्यक्त की, तो डॉक्टर ने निश्चिंत रहने का भरोसा दिलाया.
जिला अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने की बात कहकर भेजे गए, मासूम को 9 जनवरी को दोपहर 12.30 बजे भर्ती किया गया. शाम 5ः30 बजे ऑपरेशन थियेटर ले गए, जहां डॉ. पाणिग्रही के अलावा डॉ. ज्योति श्रीवास्तव व डॉ. प्रतीकधर शर्मा भी मौजूद थे. ऑपरेशन थियेटर से बाहर से आकर डॉक्टर पाणिग्रही ने परिजनों को आश्वासन दिया कि 15 मिनट में बच्चे को वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा. यह कहकर वे फिर वापस ऑपरेशन थियेटर में चले गए. 1ः50 घंटे का समय हो गया, इसके बाद भी बच्चे को बाहर नहीं लाया गया.
परिजन बच्चे की जानकारी लेते, तो स्वस्थ्य होने की बात कही जाती रही. इसके करीब आधे घंटे बाद डॉक्टर पाणिग्रही ऑपरेशन थियटेर से बाहर निकले और कहने लगे कि बच्चे की सांस रूक गई है. हम अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं. इस बीच आनन-फानन में परिजनों से बिना सलाह लिए बच्चे को कोसाबाड़ी स्थित एक निजी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ले गए. यहां से अचानक डॉ. पाणिग्रही लापता हो गए. थोडी देर बाद आईसीयू से डॉक्टर बाहर आए और बच्चे की मौत हो जाने की जानकारी दी.
परिजनों का आरोप है कि आयुष्मान क्लीनिक में ऑपरेशन व वेंटीलेटर की सुविधा नहीं होने के बावजूद पैसों केे लालच में ऑपरेशन किया गया. साथ ही निश्चेतना विशेषज्ञ भी मौजूद नहीं था, जिसकी वजह से बच्चे की मौत हो गई. पीड़ित ने अस्पताल संचालन की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जिला प्रशासन और शासन से जांच कराने की भी मांग की है.
रेफरल सेंटर बना जिला अस्पताल
जिला चिकित्सालय में आम लोगों खासकर गरीब वर्ग को बेहतर सुविधा दिलाने तीन चिकित्सकों की नियुक्ति कर उन्हें खनिज न्यास मद से लाखों रुपये वेतन दिया जा रहा. ऑपरेशन कक्ष को आधुनिक बनाने इन दिनों कार्य चल रहा, बावजूद इसके वहां ऑपरेशन हो सकता है. तब डॉ. पाणिग्रही ने जिला अस्पताल में ऑपरेशन करने की बजाय बच्चे को निजी अस्पताल में क्यों भेजा? इसके लिए अस्पताल प्रबंधन भी जिम्मेदार है, जिसने जिला अस्पताल को रेफरल सेंटर बना डाला है. सरकार से मोटा वेतन पाने के बाद भी अपना काम ईमानदारी से अनेक चिकित्सक व स्टॉफ नहीं करते, ऊपर से निजी प्रेक्टिस भी करते हैं.
मौत का डर, मजबूरी का बेजा लाभ
जिला अस्पताल में किस तरह मौत का डर दिखाकर कई डॉक्टर निजी अस्पतालों की सांठगांठ से पैसे कमा रहे हैं, यह घटना उसका एक उदाहरण है. डा. पाणिग्रही ने कम उम्र में बच्चे का हर्निया का ऑपरेशन नहीं कराने पर आगे खतरा बढ़ जाने का भय दिखाया. इसमें बीस हजार खर्च आने की बात कह निजी अस्पताल में भेज दिया. ऑपरेशन कराने के लिए आयुष्मान अस्पताल से एक दिन में तीन बार फोन किया गया. मनोज रोजी-मजदूरी कर किसी तरह परिवार चलाता है. बच्चे को लेकर वह कोई समझौता नहीं करना चाहता था, इसलिए निजी अस्पताल में खर्च करने की हैसियत नहीं होने के बावजूद वह वहां गया. अंततः बच्चा चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.
कोरबा तहसीलदार की उपस्थिति में एफएसएल व बालको पुलिस ने पंचनामा की कार्रवाई की है. साथ ही तीन चिकित्सकों की टीम ने बच्चे का संयुक्त रूप से पोस्टमार्टम किया है. इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई गई है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर ने बताया कि बताया कि मृत बच्चे के परिजनों की शिकायत पर तीन चिकित्सकों पर मामला दर्ज किया गया है. घटना की जांच की जाएगी. निश्चेतना विशेषज्ञ की उपस्थिति के बिना ही ऑपरेशन किए जाने की वजह से बच्चे की मौत होने का आरोप लगाया गया है. मामले में रामपुर पुलिस ने मर्ग कायम कर केस डायरी बाल्को थाना प्रेषित की थी. बाल्को पुलिस ने तीनों डॉक्टर के खिलाफ धारा 304 ए, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है.