दुर्ग। 5 एकड़ बंजर जमीन को जंगल बनाकर एवं अपने गांव कोड़िया से लेकर महाराजा चौक दुर्ग तक सड़क के दोनों किनारे 300 बरगद, पीपल ,नीम व पाकर के पौधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण की दुर्ग जिले एवं प्रदेश में अलख जगाने वाले ट्री-मैन के नाम से विख्यात पर्यावरण प्रेमी गैंदलाल देशमुख नहीं रहे.
गुरुवार की देर रात उन्होंने घर पर अंतिम सांस ली. 94 वर्ष की आयु में सबका साथ छोड़ जाने वाले देशमुख जीवन भर सिर्फ पर्यावरण के लिए काम करते रहे. उन्होंने अपने अंतिम दिनों में भी पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्ष किया. जीवन भर वह लोगों को यह संदेश देते रहे कि प्रकृति है, तो हम सब हैं. हमें पौधारोपण ही नहीं करना है, बल्कि उसे बचाना बहुत जरूरी है. इस संदेश के साथ उन्होंने जीवन भर काम किया और 5 एकड़ बंजर जमीन को अपने अकेले के अथक प्रयासों से उसे जंगल में बदल दिया.
बता दें कि पर्यावरण प्रेमी देशमुख को पर्यावरण संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री सहित अनेक संस्थाएं सम्मानित कर चुके हैं. पर्यावरण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों की भनक दिल्ली तक भी पहुंच चुकी है. उन्होंने अपने कार्यों को देखने के लिए पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को भी पत्र लिखा था. हालांकि देशमुख को सरकार की ओर से वो सम्मान नहीं मिल पाया जिसका वह हमेशा हकदार रहा है. यहाँ तक कि पर्यावरण संरक्षण के लिए दिए जाने वाले पुरस्कारों तक से वंचित रहे.
सरकार से बस अब यही मांग
पर्यावरण कार्यकर्ता एवं हितवा संगवारी संस्था के संयोजक रोमशंकर यादव बताते हैं कि कुछ दिनों पूर्व ही उन्होंने बोरसी -हनोद-कोड़िया-पाऊवारा मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान अपने द्वारा सड़क के दोनों छोर पर रोपे गए पेड़ों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि सड़क किनारे रोपे गए पेड़ों को चौड़ीकरण के दौरान सुरक्षित रखा जाए.
यादव ने कहा हमारी मांग है कि कोड़िया गाँव के जिस 5 एकड़ बंजर जमीन को देशमुख ने जंगल में बदलने का काम किया, उसे उनकी में उनके नाम उपवन के रूप में संरक्षित रखा जाए. साथ ही ग्राम कोड़िया से महाराजा चौक दुर्ग तक जिस मार्ग के दोनों छोर पौधरोपण किए गए हैं, उसका नामकरण भी पर्यावरण प्रेमी गेंदलाल देशमुख मार्ग रखे जाने एवं उनके ग्राम कोड़िया को जाने वाले बोरसी चौक में देशमुख की प्रतिमा स्थापित किया जाए. ताकि आने वाली पीढ़ी उनसे पर्यावरण के कार्य के लिए प्रेरित होते रहे.
देशमुख के निधन पर पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले हितवा संगवारी डुंडेरा, पर्यावरण मित्र रिसाली, युवा सृजनशील संगठन पीसे गांव के पर्यावरण कार्यकर्ताओं सहित अनेक लोगों ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए शोक व्यक्त किया है. उनका अंतिम संस्कार आज सुबह 10 बजे उनके द्वारा तैयार किये गये जंगल में किया जाएगा.