फीचर स्टोरी। जब भी आप कोई बेहतर काम करते हैं तो आपका नाम जरूर होता है. आपकी उपलब्धियों की चर्चा हर कहीं होती है, आपको सम्मान भी मिलता है. छत्तीसगढ़ के साथ भी कुछ ऐसा ही रहा है. बीते दो वर्षों में राज्य सरकार ने जो भी बेहतर काम किए उसके लिए सरकार की सराहना हुई, राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान भी मिला है.
बात चाहे फिर राज्य सरकार की अपनी योजनाओं की हो, या फिर केंद्रीय योजनाओं को राज्य नए तरीके से बेहतर क्रियान्वयन का हो. ऐसे ही एक योजना के बारे में हम आपको बता रहे हैं. आपको योजनाओं से लाभांवित होने वाले कुछ परिवारों की कहानी भी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने पक्के मकान में रहने का अपना सपना पूरा कर लिया है.
इससे पहले कि हिरोंदी, सोनबती और बालकुँवर की कहानी सुनाए पहले भूपेश सरकार की योजना, योजना की प्रदेश में स्थिति और राष्ट्रीय सम्मान के बारे में जान लीजिए.
छत्तीसगढ़ में संचालित यह योजना है प्रधानमंत्री आवास योजना जिसे समावेशी मॉडल के तहत राज्य में मोर जमीन-मोर मकान का नाम दिया गया. इस योजना का राज्य में सफल क्रियान्वयन हुआ. यही वजह है कि भारत सरकार की ओर 1 जनवरी को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री, हरदीप सिंह पुरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विजेताओं को पुरस्कृत किया था. नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने यह पुरस्कार ग्रहण किया था.
भारत सरकार, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत मिशन के 04 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पीएमएवाय-यू और आशा अवार्ड के तहत छत्तीसगढ़ राज्य को तीन श्रेणियों में अवार्ड प्राप्त हुए हैं.
राज्य को पुरस्कार मिलने पर मंत्री डॉ. डहरिया ने नगरीय प्रशासन विभाग सहित सभी विजेताओं को इस उपलब्धि की बधाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गरीबों को आवास देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. हमारे द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों के आधार पर ही आज भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है. सबके लिए आवास योजना में सरकार के प्रयासों को सफलता का यह पहला पायदान है. छत्तीसगढ़ राज्य को देश का मार्गदर्शक राज्य बताते हुए डॉ. डहरिया ने कहा था कि छत्तीसगढ़ ने हमेशा ही देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है. स्वच्छता में भी हमारा राज्य लगातार देश का नंबर वन राज्य बना हुआ है और अब आवास योजना में भी हम देश में अग्रणी है. ये समस्त छत्तीसगढ़वासियों के लिए गौरवान्वित होने का समय है.
बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन की श्रेणी में छत्तीसगढ़ को मिला पुरस्कार
मोर जमीन-मोर मकान घटक के अन्तर्गत हितग्राहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, अन्य योजनाओं का समावेश कर उनके सफल क्रियान्वयन हेतु ”बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत किया गया.
बेस्ट परफॉर्मिंग म्युनिसिपल काउंसिल श्रेणी में डोंगरगढ़ को मिला इनाम
नगर पालिका परिषद, डोंगरगढ़ को अधिक से अधिक आवास निर्माण पूर्ण करने पर देश में ”बेस्ट परफॉर्मिंग म्युनिसिपल काउंसिल श्रेणी“ में पुरस्कार प्राप्त हुआ है.
बेस्ट हाउस कंस्ट्रक्शन श्रेणी में हितग्राहियों को मिला पुरस्कार
प्रदेश के तीन हितग्राही मंजू साहू (धमतरी), मुमताज बेगम (धमतरी), ममता वर्मा (कवर्धा) के आवासों को देश के ”बेस्ट हाउस कंस्ट्रक्शन श्रेणी“ में पुरस्कार प्राप्त हुए.
75 हजार शहरी परिवारों को मिला आवास
नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य में अब तक 75 हजार शहरी परिवारों को आवास का लाभ मिल चुका है. दरअसल इस योजना में विशेषकर गरीबों को प्राथमिकता दी गई है. भूमिहीन व्यक्तियों को भूमि धारण का अधिकार प्रदान करने हेतु अधिनियम लाया गया है. 19 नवंबर 2018 के पूर्व काबिज कब्जा धारकों को भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान की व्यवस्था की गई है. इसमें ऐसे व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे जिन्हें पूर्व में पट्टा प्रदान किया गया था परंतु नवीनीकरण प्रावधानों के अभाव में वह भूमि का उपभोग नहीं कर पा रहे थे. इस निर्णय में राज्य के लगभग दो लाख से अधिक शहरी गरीब परिवार सीधे लाभान्वित होंगे तथा उन्हें ‘मोर जमीन मोर मकान‘ योजना में 2.5 लाख तक वित्तीय सहायता प्रदान भी किया जा रहा है. मोर जमीन-मोर मकान योजना से गरीबों को जोड़कर हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है.
राज्य शासन ने हितग्राहियों की सुविधाओं को प्रमुखता देते हुए आवास योजना अन्तर्गत 827 परियोजनाओं में अन्य योजनाओं का समावेश किया, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण ”आशा चढ़ी परवान“ है. इस योजना का सीधा लाभ कुष्ठ पीड़ितों और उनके परिवारों को मिला जो बीमारी की वजह से शहर से बाहर रह कर भिक्षावृत्ति कर पेट भरने को मजबूर थे. इनके इलाज के साथ, रोजगार की व्यवस्था और आत्मनिर्भर बनाने के साथ सम्मानपूर्वक जीवनयापन की दिशा में आवश्यक मूलभूत सुविधाएं सहित कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं.
राजनांदगांव- सोनबती बाई
ये तस्वीर राजनांदगांव की है. ये तस्वीर सोनबती के परिवार की. ये तस्वीर है खुशियों की. ये तस्वीर सपने पूरे होने की. ये तस्वीर मोर जमीन मोर मकान योजना के हितग्राही परिवार की. दरअसल जिस तस्वीर को आप देख रहे हैं सोनबती के परिवार की. सोनबती राजनांदगांव की रहने वाली है.
सोनबती के परिवार के पास अब पक्का आवास है. सोनबती को मोर जमीन-मोर मकान के तहत अब पक्का मकान मिल गया है. दरअसल पहले सोनबती अपने परिवार के साथ पट्टधारी कच्चे मकान में रहती थी. उन्हें लगता था कि पट्टाधारियों को भी कभी आवास योजना का लाभ मिलेगा या नहीं. लेकिन जैसे भूपेश सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना में शहरी सेवा अंतर्गत समावेशी मॉडल के तहत यह तय किया कि पट्टाधारियों को अब जिस जगह में वे रहते वहीं पर पक्का मकान बनाकर दिया जाएगा. और इसके लिए सरकार की ओर से मोर जमीन-मोर मकान योजना की शुरुआत की गई, तो सोनबती की यह चिंता दूर हो गई. सोनबती के परिवार को भी उसी जगह पर पक्का आवास मिल गया, जहाँ उनकी जमीन थी.
बीजापुर- हिरोंदी बाई
इसी तरह से बीजापुर की रहने वाली हिरोंदी बाई को भी पक्का मकान मिल गया है. हिरोंदी बाई सड़क किनारे छोटी सी सब्जी दुकान चलाती है. आय का यही एक जरिया है. ऐसे में पक्के मकान का सपना कैसे पूरा हो यह एक बड़ी चिंता हिरोंदी की रही. दरअसल हिरोंदी की यह चिंता इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि वह घर की मुखिया थी और उसका पति दिवगंत हो चला था. हिरोंदी जानती थी कि बारिश के दिनों में झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहना कितना कठिन रहता ऐसे में वह भी चाहती थी जिस जगह में वो रहती हैं क्या वहाँ पर सब्जी बेचकर होने वाली कमाई से कभी पक्का मकान बनवा पाएगी.
हिरोंदी की यह चिंता स्वभाविक थी. इस बीच हिरोंदी को भूपेश सरकार की ओर से संचालित मोर जमीन-मोर मकान योजना की जानकारी हुई, जिसमें अब कच्चे मकान वाले गरीब परिवार के लोग उसी जगह पर पक्का मकान बना सकते हैं जहाँ पर उनकी जमीन है. अगर जमीन पट्टेवाली है तब भी. हिरोंदी ने योजना के तहत आवेदन किया और कुछ महीनों बाद भी उसका आवेदन स्वीकृत हुए पक्का आवास के लिए ढाई लाख का अनुदान मिल गया. आज हिरोंदी के पास अपना पक्का आवास है. अब उसे बारिश की चिंता नहीं.
कोरिया- बालकुँवर
सोनबती और हिरोंदी की तरह एक हितग्राही हैं कोरिया जिले की बैकुंठपुर निवासी बालकुँवर. बालकुँवर की कहानी कुछ-कुछ हिरोंदी की तरह ही है. बालकुँवर भी पक्का मकान का सपना देखती थी. लेकिन दुर्भाग्य पति के जीते-जी यह सपना पूरा न हो सका. बालकुँवर की जिंदगी आर्थिक तंगी के बीच ही गुजरी है. गरीब परिवार के लिए पक्का आवास बनाना कितना कठिन रहता यह वही जानता है, जो अभावों के बीच, परेशानियों के जी रहा होता है. बालकुँवर अपनी घर की माली हालत जानती थी, लिहाजा जिस कच्चे मकान में रहती उसे पक्के बदलने के बारे में वह सोचती तो थी, लेकिन उसे लगता यह कभी पूरा ही नहीं हो पाएगा.
इसी बीच जब राज्य सरकार की योजना मोर जमीन-मोर मकान का लाभ उसे और पक्का आवास का सपना पूरा हो गया है. आज बालकुँवर अपने बच्चों, बहू और नाती के साथ रहती हैं.
सोनबती हो, हिरोंदी बाई हो या बालकुँवर या इन जैसे हजारों हितग्राही सबके पास आज अपना पक्का मकान है. विशेष बात यह है कि यह पक्का मकान सबके पास उसी जमीन पर है, जहाँ वे कच्चे मकान में रहते रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास के तहत पक्का मकान तो गरीब परिवार को मिलता ही. लेकिन भूपेश सरकार ने मोर जमीन-मोर मकान को इस योजना में समावेश कर उसे और भी बेहतर और व्यापक बना दिया है.