रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय रायपुर सहित 4 नये उद्यानिकी महाविद्यालयों साजा (बेमेतरा जिला), अर्जुन्दा (बालोद जिला), धमतरी, जशपुर और लोरमी कृषि महाविद्यालय (जिला मुंगेली) और नवीन कृषि विज्ञान केन्द्र कोण्डागांव का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य स्थापना के समय छत्तीसगढ़ में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय सहित केवल 01 कृषि महाविद्यालय था। आज कृषि, उद्यानिकी के 46 महाविद्यालय, 08 अनुसंधान केंद्र एवं 27 कृषि विज्ञान केंद्र इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के उत्तर में बलरामपुर से लेकर दक्षिण में सुकमा तक कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार का एक मजबूत नेटवर्क तैयार हो गया है। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास के लिए कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए कृषि महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों को शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में शामिल किया गया है। इसका लाभ किसानों को उन्नत तकनीक से खेती करने में और कृषि से संबद्ध आर्थिक गतिविधियों को विकसित करने में मिलेगा जिससे हमारे किसानों और ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। उनकी आर्थिक-समाजिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 35वें स्थापना दिवस पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेश के कृषि महाविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों और नवीन कृषि महाविद्यालयों में 115 करोड़ रूपए की लागत के अधोसंरचना विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने इनमें से 46 करोड़ 67 लाख रूपए की लागत के कार्यों का लोकार्पण और 63 करोड़ 10 लाख रूपए की लागत के कार्यों का भूमिपूजन और शिलान्यास किया।
इन कार्यों में कृषि महाविद्यालयों के भवन, बालक-बालिका छात्रावास, अनुसंधान केन्द्र, हाइटेक नर्सरी, सीड प्रोसेसिंग भवन, हैचरी, कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रशासनिक भवन और कृषक छात्रावास निर्माण के कार्य शामिल हैं। बघेल इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए डिजिटल कृषि पंचांग और कृषि दर्शिका-2021 का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में कृषि और जलसंसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडि़या, विधायक अमितेश शुक्ला, देवव्रत सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के.पाटिल और कुल सचिव प्रभाकर सिंह उपस्थित थे। इस प्रदेश व्यापी कार्यक्रम में 12 मंत्री और 21 विधानसभा क्षेत्रों के विधायक सहित विभिन्न कृषि महाविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक, शिक्षक और विद्यार्थी भी जुड़े।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 14 कृषि महाविद्यालयों, छात्रावासों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के भवनों का भी लोकार्पण हुआ है। ये सभी भवन लगभग 47 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुए हैं। जिन कृषि महाविद्यालयों में महाविद्यालय-भवन एवं छात्रावास नहीं थे, उनके लिए हमने राशि की स्वीकृति दी है। इन महाविद्यालयों, छात्रावासों, कृषि विज्ञान केंद्रों के भवनों एवं कृषक छात्रावासों के लिए लगभग 63 करोड़ रुपए के कार्यों का शिलान्यास किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घोषणा-पत्र में उद्यानिकी और वानिकी को बढ़ावा देने का वादा किया था। इसी को मूर्त रूप देने के लिए महात्मा गांधी के नाम पर उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की है। इस विश्वविद्यालय के लिए पदों की स्वीकृति भी दे दी गई है। पिछले 02 वर्षों में हमने सुकमा एवं कोण्डागांव में 02 नये कृषि विज्ञान केंद्र प्रारंभ करने पहल की है, जिन्हें भारत सरकार से स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। आज इनमें से कोण्डागांव में कृषि विज्ञान केंद्र का शुभारंभ किया गया है। हमारा प्रयास है कि इसी वर्ष गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही एवं साजा में भी नये कृषि विज्ञान केंद्र प्रारंभ हो जाएं, इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कृषकों को कृषि में लगने वाली लागत के आंकलन के लिए पहले कोई केंद्र नहीं था। इस वर्ष से छत्तीसगढ़ में किसानों की लागत का अध्ययन करने के लिए एक केंद्र विश्वविद्यालय में प्रारंभ किया जा रहा है। इसके लिए 25 पदों की स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण शासन की प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। इस वर्ष न केवल खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय प्रारंभ किया है, वरन इस महाविद्यालय तथा कृषि विज्ञान केंद्र जगदलपुर के लिए साढ़े पांच करोड़ रुपए की लागत से फूड प्रोसेसिंग इक्यूबेशन सेंटर भी प्रारंभ किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषि शिक्षा के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पिछले 02 वर्षों में हमने 08 महाविद्यालय स्थापित किए हैं। इस वर्ष हम 08 नये महाविद्यालय खोलने जा रहे हैं। कृषि की शिक्षा में बच्चों के रुझान को देखते हुए हमने प्रवेश क्षमता में भी वृद्धि की है। पिछले 02 वर्षों में लगभग 20 प्रतिशत सीट की वृद्धि की गई है। अगले वर्ष से प्रवेश क्षमता में 10 प्रतिशत की और वृद्धि की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा सुराजी गांव योजना के तहत राज्य में 7 हजार से अधिक गोठानों का निर्माण किया जा रहा है। 4 हजार से ज्यादा गोठान सक्रिय भी हो चुके हैं। 325 गोठानों को कृषि महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा गोद लिया गया है, जिनमें वैज्ञानिकों द्वारा वर्मी कंपोस्ट निर्माण, मशरूम उत्पादन, बटेर पालन, कड़कनाथ मुर्गी पालन, सब्जियों-फूलों की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बाड़ी विकास के तहत विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 8000 बाडि़यों का विकास किया जा रहा है।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता छत्तीसगढ़ में कृषि, उद्यानिकी और वानिकी क्षेत्र का विकास करना है। पिछले दो वर्षाें में 8 नए कृषि महाविद्यालय प्रारंभ किया गया है। छत्तीसगढ़ के विकास में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जब कोविड के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां ठप थी। छत्तीसगढ़ का सौभाग्य रहा कि सारी बाधाओं के बाद भी किसानों, मजदूरों और वनांचल के रहवासियों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़े रखा। दो वर्षाें में विश्वविद्यालय ने 34 नई प्रजातियों के बीज विकसित किए। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने स्वागत भाषण दिया और विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम में कृषि मंत्री ने धान की सुगंधित प्रजातियों को जिलेवार दर्शाता ‘‘धान से धनी छत्तीसगढ़‘‘ का नक्शा स्मृति चिन्ह के रूप में मुख्यमंत्री को भेंट किया।