लखनऊ. गणतंत्र दिवस के अवसर पर उम्रदराज कैदियों को जेल से रिहा किया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई रिहाई की स्थायी नीति के तहत 16 वर्ष की वास्तविक सजा पूरी कर चुके तथा अच्छे चाल चलन वाले कैदी इसके पात्र होते हैं. इसके अलावा महिला एवं कैंसर, गुर्दा, दिल, ब्रेन ट्यूमर आदि गम्भीर बीमारियों के कैदियों को खास तरजीह दी जाती है. साथ ही इसके अलावा 80 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के पुरुष कैदी रिहाई के पात्र होंगे.
21 नवंबर को नारी बन्दी निकेतन की महिला कैदियों के साथ जन्मदिन मनाने पहुंची राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने बजुर्ग महिला कैदियों की स्थिति देखकर भावुक हो गईं थी। उन्होंने महिला कैदियों को रिहाई का आश्वासन दिया था। राज्यपाल ने समारोह में मौजूद डीजी आनन्द कुमार और डीएम अभिषेक प्रकाश से रिहाई के पात्र महिला कैदियों का ब्यौरा मांगा था.
डीआईजी वीपी त्रिपाठी बताते हैं कि प्रदेश की जेलों से करीब 800 कैदियों के प्रकरण आये थे। जिसमें से रिहाई के मानक पूरे करने वाले 500 कैदी पात्र मिले। इन सभी 500 कैदियों का ब्यौरा शासन को उपलब्ध करा दिया गया है। शासन स्तर पर गठित कमेटी इनपर विचार कर राजभवन भेजेगी.
बता दें की संविधान के अनुछेद 161 के तहत सजायाफ्ता कैदियों को समय से पहले रिहाई का अधिकार राज्यपाल को है, लेकिन इसके लिए कुछ मानक तय हैं। इसमें नरसंहार और सामूहिक हत्या जैसी जघन्य वारदात को अंजाम देने के मामले में दोषसिद्ध बंदियों को शामिल नहीं किया गया है. इसी कड़ी में इस बार गणतंत्र दिवस पर दया याचिका के आधार पर समय पूर्व दोष सिद्ध कैदियों को रिहा किया जायेगा.