पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। अफसर समर्थन मूल्य में शत-प्रतिशत मक्का खरीदी करने का दावा करते रहे, इधर व्यवस्था से हलाकान 3 हजार से ज्यादा किसानों ने व्यापारियों को कम दाम में 48 करोड़ का मक्का बेच दिया. अब किसानों का सस्ता मक्का बंगलादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे देशों में चला गया है.
कोरोना संकट व ब्लड फ्लू के बीच मक्का की मांग पहले की अपेक्षा घटी तो इसका असर कीमत पर भी पड़ा. इसी वजह से व्यापारी अब तक अधिकतम कीमत 1300 रुपये प्रति क्विंटल में ही खरीदी कर सके. कम कीमत को लेकर किसानों ने जिला प्रशासन से अच्छे कीमत की मांग भी किया था. 2 नवम्बर को ज्वाइन करते ही नए कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर के सामने मक्का किसानों को अच्छे कीमत दिलाने की समस्या चुनौती बनकर सामने आई.
कलेक्टर के पहल से किसानों का मक्का का पंजीयन शुरू भी कराया गया. जिले के 67 केंद्रों में 5846 मक्का किसानों ने 31717 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन भी कराया. 1850 रुपए समर्थन मूल्य भी तय था, पर खरीदी करवाने में असफल साबित हो गए. सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, कांडकेला खरीदी केंद्र में 1 ही किसान से अब तक 24 क्विंटल मक्का समर्थन मूल्य पर खरीदा गया.
मामले में कलेक्टर क्षीरसागर से बात करने की कोशिश की गई पर हमेशा की तरह इस बार भी कॉल रिसीव नहीं किये न ही मेसेज का कोई जवाब देना जरूरी समझे.
मामले में समर्थन मूल्य के जिला नोडल अधिकारी श्रीकांत तिवारी ने खरीदी आंकड़े की पुष्टि करते हुए बताया कि बीच में कुछ समय के लिए सॉफ्टवेयर में मक्का खरीदी का तकनीकी समस्या आया हुआ था. टोकन नहीं कट रहे थे, अब चालू हो गया है. खरीदी 30 मई तक होना है, प्रशासन की पूरी तैयारी है.
बिक चुका है 48 करोड़ का मक्का
जिले में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन देवभोग व मैनपुर विकासखण्ड में होता है. पंजीकृत किसानों की 95 फीसदी संख्या में इसी क्षेत्र के किसानों के नाम है. कृषि विभाग के आंकड़े बता रहे हैं दोनों ब्लॉक में 15000 हेक्टयर में मक्का का उत्पादन किया गया है. 15 क्विंटल के औसत मात्रा के आधार पर 5 लाख 62 हजार क्विंटल का उत्पादन हुआ है.
मंडी सचिव प्रदीप शुक्ला के मुताबिक, उन्हें अब तक 1 लाख 45 क्विंटल मक्का कारोबार के एवज में व्यापारियों से 20 लाख का शुल्क मिल चुका है. रायपुर मार्ग एवं कालाहांडी जिले में लगे वन विभाग के जांच नाके में 6 नवम्बर से अब तक 570 ट्रक मक्का भर कर व्यापारियों द्वारा बाहर भेजने का जिक्र है, जबकि 300 से ज्यादा ट्रक की एंट्री जांच नाके में नहीं किया गया, न ही मंडी विभाग के पास इसका रिकार्ड है. अगर 870 ट्रक भी माने तो इनमें 300 क्विंटल प्रति ट्रक में अब तक 2 लाख 61 हजार क्विंटल मक्का व्यापारियों के पास बिक गए, जिसकी सरकारी कीमत 48 करोड़ से ज्यादा है.
अब आधे से भी कम मक्का खलिहानों में, कीमत बढ़ने का इंतजार है
सितलीजोर के किसान दूतीय चंद नागेश, ढोर्रा निवासी रुस्तम सिन्हा ने बताया कि इन्होंने 400 क्विंटल मक्का व्यापारियों को 1250 रुपये के दर पर बेच दिया है. दोनों पंजीकृत किसान है, कई बार खरीदी केंद्र का चक्कर लगाए पर कभी सॉफ्टवेयर बन्द तो कभी धान खरीदी में व्य़स्तता बताकर इनके मक्का नहीं खरीदा गया. रखरखाव में लागत बढ़ रही थी इसलिए व्यापारी को बेच दिया. नगद भुगतान व जांच परीक्षण के टेंशन से बचने भी ज्यादातर किसान समिति का चक्कर नहीं लगाए. अब भी 1 लाख क्विंटल से ज्यादा मक्का खलिहान व घरों में मौजूद है, पर किसान खरीदी केंद्र तक नहीं आ रहे. पिछले साल जनवरी में 2200 रुपये तक मक्का बिका था, उसी आस में किसान इंतजार कर रहे.