विनोद दुबे, बेमेतरा/रायपुर बेमेतरा जिला विपणन सहकारी समिति हुए घोटाले मामले का खुलासा सबसे पहले लल्लूराम डॉट कॉम ने किया था. इस खुलासे में जांच के बाद जिला प्रशासन ने मुहर लगा दी है. उप पंजीयत सहकारी संस्थाएं की ओर से किए गए जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जांच प्रतिवेदन में उन सभी शिकायतों को सही पाया गया है कि जिसमें समिति की संचालक सदस्य रीता पाण्डेय ने कलेक्टर से की थी. कलेक्टर ने मामले में जिला उपपंजीयक को जांच के आदेश दिए थे. उप पंजीयक में वरिष्ठ निरीक्षक बीएल राणा को जांच अधिकारी बनाया गया. जांच अधिकारी ने मामले की जांच की. जांच के दौरान सहकारी समिति के प्रंबधक संजय सिंह और अध्यक्ष राजकुमार तिवारी से पूछताछ की गई. जांच में जो तथ्य सामने आए उसमे जांच अधिकारी ने सीधे तौर पर सोसयाटी के प्रबंधक संजय सिंह और अध्यक्ष राजकुमार तिवारी को जिम्मेदार बताया गया. जांच अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को आगे की कार्यवाही के लिए भेज दी है.
जांच रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है वो चौंकाने वाले हैं
कॉम्पलेक्स घोटाला
शिकायत- संस्था के सोसायटी कॉमप्लेक्स में नियमित द्वीतय एवं तृतीय तल में किस तरह आंबटित किया गया है.
जांच रिपोर्ट– संस्था के अभिलेख के अनुसार निविदा के शर्तों अनुसार 10 वर्षों के लिए लीज पर मासिक किराया दिया जाना था, किंतु संस्था द्वारा लीज दिए जाने का अनुबंध न कर निविदा के शर्तों का पालन नहीं किया गया है. नीलामी में उच्चतम बोली के आधार पर दुकान आबंटन बताया गया है जिसके कारण नीलामी की उच्चतम बोली संदिग्घ प्रतीत होती है. दुकानदारों से प्राप्त आवेदन पर आबंटित दुकानों को किस दुकान कितनी राशि में आबंटित किया गया है, का उल्लेख कार्यवाही पंजी में नहीं किया है, जो संदिग्ध प्रतीत होती.
भविष्य निधि घोटाला
शिकायत– कर्मचारियों के वेतन से काटी गई भविष्य निधि की राशि की जांच –
जांच रिपोर्ट- संस्था के अभिलेख के अनुसार संस्था के कर्मचारियों की भविष्य निधि फरवरी 2009 तक जमा की गई है, जबकि कर्मचारियों का वेतन फरवरी 2015 तक भुगतान किया गया है. अर्थात मार्च 2009 से फरवरी 2015 तक कर्मचारियों की भविष्य निधि की राशि कटौती कर भविष्य निधि कार्यालय रायपुर में जमा न कर नियम विपरीत कार्य किया गया है. नियमों का पालन तात्कालीन प्रबंधक द्वारा नहीं किया गया है.
वेतन भुगतान घोटाला
शिकायत- कर्मचारियों को 23 महीनों का वेतन भुगतान नहीं
जांच रिपोर्ट- संस्था के प्रबंधक संजय सिंह और अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने अपने बयान में बताया है कि संस्था की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कर्मचारियों का वेतन नियमित भुगतान नहीं किया जा सका है. लेकिन नियमानुसार कर्मचारियों का वेतन प्रति माह भुगतान किया जाना जाना चाहिए. वेतन भुगतान नहीं होने के कारण कर्मचारियों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. आर्थात शिकायतकर्ता की शिकायत सही है.
सरकारी वाहन घोटाला
शिकायत– समिति में उपलब्ध वाहन जो कार्य के लिए उपयोग किए जाते जो अब उपलब्ध नहीं है
जांच रिपोर्ट– संचालक मंडल की बैठक दिनांक 20.03.2013 को प्रस्ताव क्रमांक 04 अध्यक्ष महोदय के अनुमति से क्रमांक 01 में मेटाडोर विक्रय करने पर सही दर प्राप्त होता है, तो प्रबंधक इसे विक्रय करने के लिए सक्षम होगा का निर्णय लिया गया. संस्था द्वारा मेटाडोर विक्रय की राशि सावधि खाता में जमा न कर संस्था के प्रबंधक द्वारा संचालक मंडल द्वारा पारित प्रस्ताव का पालन नहीं किया गया.
दुकान घोटाला
शिकायत- प्रथम तल में शौचालय को दुकान बनाकर बेच दिया गया.
जांच रिपोर्ट- संस्था के अभिलेख अनुसार संस्था की संचालक मंडल द्वारा शौचालयों के स्थान पर दुकान बनाने का निर्णय पारित नहीं किया गया था. बिना संचालक मंडल की अनुमति से संस्था की प्रबंधक एवं अध्यक्ष द्वारा शौचालय को दुकान बनाकर मासिक किराया पर दिया गया है. वहीं शौचालय को दुकान हेतु नक्शे में परिवर्तन की प्रकिया ग्राम एवं नगर निवेश विभाग/नगर पालिका से नहीं कराकर नियम विरुद्ध कार्य किया गया. जिसके लिए संस्था के तत्कालीन प्रबंधक एवं अध्यक्ष/प्रबंध कमेटी जिम्मेदार है.
उप पंजीयत सहकारी संस्थाएं की ओर से जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया गया. 13.09.2017 को जांच प्रतिवेदन भेजा गया लेकिन बीते 2 माह बाद भी तक इस मामले में किसी तरह की कोई कार्यवाई कलेक्टर की ओर से नहीं की गई है. शिकायतकर्ता रीता पाण्डेय का कहना है कि उन्हें इस मामले में कार्यवाई की पूरी उम्मीद है. क्योंकि वे लंबे समय से सहकारी समिति हुए भ्रष्ट्राचार के खिलाफ लड़ रही है. वे चाहती है कि गरीबों के साथ हुए अन्याय पर उन्हें न्याय मिले. कर्मचारियों को उन्हें पूरा वेतन और भविष्य निधि की राशि मिले, सरकार को जो नुकसान उसकी भरपाई हो. वहीं इसे पूरे मामले कई और अधिकारियों की मिलीभगत नज़र आती लिहाजा वे उम्मीद करती है कलेक्टर ने जिस तरीके से पूरे मामले की जांच गंभीरतापूर्वक कराई है कार्रवाई भी उतनी जल्दी होगी.