रायपुर। देश के किसानों के आंदोलन के साथ एकता का इजहार करते हुए केंद्र सरकार से किसान विरोधी काले कानून व मजदूर विरोधी श्रम संहिता वापस लेने की मांग को लेकर श्रमिक संगठनों, कला, साहित्य सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकताओं ने आज मशाल रैली निकाली. 26 जनवरी को देश के किसान गणतंत्र दिवस पर जब दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकलेंगे, तो उनके साथ संविधान और देश बचाने रायपुर में भी ट्रेक्टर परेड निकलेंगे.

सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र ने बताया कि इस रैली में सीटू, आरडीआईईयू, एसएफआई, जनवादी नौजवान सभा, इपटा, तृतीय वर्ग शास कर्म संघ सहित अन्य संगठनों के साथी शरीक हुए. कर्मचारी भवन से प्रारंभ हुई यह रैली कालीबाड़ी, मोतीबाग, छोटापारा, होते हुए सपरे स्कूल परिसर में समाप्त हुई. यहां विभिन्न संगठनों के नेताओं ने सभा को संबोधित करते हुए सरकार के कानून स्थगन के प्रस्ताव की निन्दा की और कहा सरकार की योजना खेती में बड़े कारपोरेट के कब्जे का बढ़ाते रहने और किसानों को जमीन से बेदखल करने की है.

वक्ताओं ने कहा कि सरकार का कानून सस्पेण्ड करने का प्रस्ताव और कृषि मंत्री का बयान कि कानून रद्द नहीं किए जाएंगे, किसानो की किसी भी समस्या को हल नहीं करेंगे. स्थगन का अर्थ एक ही है कि यह किसान इस बात को स्वीकार कर लें कि यह किसी भावी तिथि से लागू होंगे औश्र यह किसानों को नामंजूर है.

सरकार का प्रस्ताव एक कमेटी के गठन से जुड़ा हुआ है. इन कानूनों के स्थगन के साथ इनका मूल आधार किसानों की गर्दन पर लगातार लटका रहेगा और कमेटी में चर्चा इनके सुधार तक ही सीमित रहेगी, जो सुधार न तो सम्भव है और न उनका काई मतलब है. वैसे भी कानून में सुधार को किसान नकार चुके हैं. हालांकि भारत सरकार का दावा है कि वार्ता के 11वें दौर में वह जो कुछ दे सकती थी, वह दे चुकी है, सच यह है कि कमेटी का प्रस्ताव उसने शुरू में ही दिया था और किसान उसे नकार चुके हैं.