फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने रिकॉर्ड धान खरीदी कर इतिहास रच दिया है. वह भी तब की स्थिति में जब केंद्र की ओर से कई रुकावटें सामने आई. बावजूद इसके सरकार ने धान खरीदी बंद नहीं होने दी. नतीजन अपने दम पर राज्य सरकार ने अब तक सबसे अधिक खरीदी की है.
खरीदी की शुरुआत के साथ ही जहाँ बारदाने को लेकर संकट गहरा गया था, वहीं बीच में केंद्र ने केंद्रीय पूल का चावल लेने इंकार कर दिया था. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार सामने खरीदी को जारी रख किसानों को राहत पहुँचाने की एक बड़ी चुनौती थी. सरकार इस विषम परिस्थितियों का सूझ-बूझ के सामना किया. केंद्र के सामने विरोध के साथ संयम से भी काम लिया.
हालांकि केंद्र और राज्य सरकार के बीच खरीदी को लेकर टकराव की स्थिति बनती रही. केंद्र बड़ी मुश्किल से 24 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल में लेने के लिए राजी हुआ. जबकि केंद्र ने खरीदी से पहले ही 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की बात कही थी. ऐसे में सरकार के सामने यह भी चुनौती थी कि ऐसी स्तिथि संग्रहण केंद्रों में जमा धान का क्या होगा ? सरकार बोरा के किल्लत से तो जूझ ही रही थी, केंद्रीय रुकावटों का सामना भी कर रही थी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा किसानों के साथ हम अन्याय नहीं होने देंगे. किसी भी वजह से खरीदी बंद नहीं होगी. किसानों से तय समय पर पूरी खरीदी होगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार के मंत्रियों से सतत् संवाद जारी रखा, तो दूसरी ओर किसानों के साथ भी वे बातचीत कर रहे थे.
इस तरह से छत्तीसगढ़ में आज धान खरीदी का एक ऐसा रिकार्ड बना, जो 20 सालों में कभी नहीं बना. सरकार ने 95 प्रतशित से पंजीकृत किसानों से रिकार्ड 92 लाख मीट्रिक धान की खरीदी कर इतिहास रच दिया.
सरकार की ओर जारी आँकड़ों के मुताबिक समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की बेहतर व्यवस्था के कारण खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कुल पंजीकृत किसानों में से रिकार्ड 95.38 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा है. धान बेचने वाले किसानों की संख्या इस साल सबसे अधिक रही है. इस वर्ष पंजीकृत 21 लाख 52 हजार 475 किसानों में से 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने अपना धान बेचा है.
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या, कुल पंजीकृत रकबा, बेचे गए धान के रकबे, धान बेचने वाले किसानों के प्रतिशत के साथ-साथ कुल उपार्जित धान की मात्रा में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2020-21 में राज्य गठन के 20 वर्षों में इस वर्ष छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का नया कीर्तिमान बना है.
राज्य में यदि पिछले 6 वर्षों में धान बेचने वाले किसानों की संख्या को देंखे तो वर्ष 2015-16 में 13 लाख 17 हजार 583 पंजीकृत किसानों में से 11 लाख 5 हजार 556 किसानों ने अपना धान बेचा है, जो कुल पंजीकृत किसानों का 83.9 प्रतिशत है। इसी प्रकार 2016-17 में कुल पंजीकृत 14 लाख 51 हजार 88 किसानों में से 13 लाख 27 हजार 944 किसानों ने धान बेचा, जिसका प्रतिशत 91.5 है। वर्ष 2017-18 में पंजीकृत 15 लाख 77 हजार 332 किसानों में से 12 लाख 6 हजार 264 किसानों ने धान बेचा, जो 76.4 प्रतिशत है। वर्ष 2018-19 में पंजीकृत 16 लाख 96 हजार 765 किसानों में से 15 लाख 71 हजार 414 किसानों ने धान बेचा, जो 92.6 प्रतिशत है। इसी तरह वर्ष 2019-20 में पंजीकृत 19 लाख 55 हजार 544 किसानों में से 18 लाख 38 हजार 593 किसानों ने अपना धान बेचा है, जो 94.02 प्रतिशत होता है। इन वर्षो की तुलना में इस वर्ष 2020-21 में धान बेचने वाले किसानों का प्रतिशत 95.38 जो राज्य निर्माण के बाद अब तक का सर्वाधिक है.
राज्य में बीते दो सालों में खेती-किसानी के रकबे और किसानों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है. राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते धान की खेती के पंजीयन का रकबा 27 लाख हेक्टेयर से अधिक और पंजीकृत किसानों की संख्या 21 लाख 52 हजार तक जा पहुंची है. यह भी अपने-आप में एक रिकार्ड है.
वर्ष 2015-16 में 21 लाख 26 हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीयन हुआ था और 59 लाख मीट्रिक टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई थी। वर्ष 2016-17 में पंजीकृत रकबा 23 लाख 42 हजार हेक्टेयर था और 69 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। वर्ष 2017-18 में पंजीकृत रकबा 24 लाख 46 हजार हेक्टेयर था और 56 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। वर्ष 2018-19 में पंजीकृत रकबा 25 लाख 60 हजार हेक्टेयर था और 80 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। वर्ष 2019-20 में पंजीकृत रकबा 26 लाख 88 हजार हेक्टेयर था और 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी.
कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ राज्य में समृद्ध हो रही खेती-किसानी के लिए यह एक सुखद भविष्य का संकेत है. राज्य में खेती-किसानी को एक सम्बल मिला. कृषि छोड़ चुके लोग फिर कृषि की ओर लौटे हैं. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की कृषि आदान सहायता राशि मिलने से किसानों का उत्साह बढ़कर दोगुना हो गया. इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 5750 करोड़ रूपए की सीधी मदद दी जा रही है. तीन किश्तों की राशि किसानों के खातों में अंतरित भी कर दी गई है और चौथी भी किश्त की राशि मार्च तक अंतरित की जाएगी.