सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। केन्द्र सरकार कल बजट पेश करने जा रही है. इस बजट को लेकर लोगों की काफी उम्मीदें है. छत्तीसगढ़ के विभिन्न वर्ग के व्यापारी, कर्मचारी व किसानों ने केन्द्र सरकार से उम्मीद जताई है कि इस बार का बजट उनके लिए भी खुशियां लेकर आएगा. ऑटो मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष सिंघानिया ने बताया कि केन्द्र सरकार से हमने मांग की है कि मूल्यह्रास पर व्यक्तिगत फायदा मिलना चाहिए, गाड़ी की मूल्यह्रास का लाभ सिर्फ फर्म और कंपनी को मिलता है. यदि व्यक्तिगत कोई गाड़ी खरीदता है तो उसको मूल्यह्रास का लाभ इनकम टैक्स फाइल में उनको मिलना चाहिए, क्योंकि इससे इनकम टैक्स पेयर बढ़ेंगे और गाड़ियों की मांग में भी इजाफा होगा.
अच्छी स्क्रैपिंग पॉलिसी की जरूरत
मनीष सिंघानिया ने कहा कि दूसरा स्क्रैपेज पॉलिसी जल्द से जल्द आना चाहिए. सरकार को अपनी जेब से छूट देने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उस कस्टमर को कुछ बेनिफिट दें, जो पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करके दूसरी गाड़ी लेता है.
पुरानी गाड़ी प्रदूषण ज्यादा करती है सेफ्टी के नजरिए से भी गाड़ी सेफ नहीं रहती. आज की गाड़ी में बहुत सारे सेफ्टी के फिचर्स है. यदि आपने सिट बेल्ट पहना है और आपकी गाड़ी में एयरबैग है. यदि कभी आप दुर्घटना के शिकार होते है तो एयरबैग आपको बचा लेगा. पुरानी गाड़ी में एयरबैग नहीं रहती साथ ही सेफ्टी फिचर्स भी नहीं रहते. जिसके लिए अच्छी स्क्रैपिंग पॉलिसी की जरूरत है और ये दो प्रमुख मांग हमने की है. इस बार ऑटोमोबाइल की बिक्री में इजाफा हुआ है, लेकिन इलेक्ट्रानिक समानों का सप्लाई नहीं हो पा रही है डिमांड ज्यादा है लेकिन सप्लाई कम है प्रोडक्शन को नार्मल होने में 2 से 3 महीने का अतिरिक्त समय लग सकता है.
इम्पोर्ट ड्टूटी कम हो
वहीं सराफा व्यापारी तिलोकचंद बड़रिया ने कहा कि ज्वेलरी के हिसाब से इम्पोर्ट ड्यूटी कम होनी चाहिए और वैल्यूएबल आइटम्स पर जीएसटी कम होना चाहिए. आम जनता को बहुत भार पड़ता है उससे जनता को राहत मिलेगी.
सीमेंट की जीएसटी कम करें
रियल स्टेट व्यापारी रिभुराज अग्रवाल ने बजट को लेकर कहा कि 28 प्रतिशत की जीएसटी सीमेंट में लगाई जाती है. उसे कम कर 18 प्रतिशत की जाए, हमारी प्रमुख मांग यही है कि घर के निर्माण में सीमेंट रीड की हड्डी होती है. यदि सीमेंट का टैक्स कम किया जाता है तो राहत मिलेगी. कोरोना संकट की वजह से कारोबार धीरे धीरे पटरी पर लौट रही है.
धान बोनस को लेकर राज्य को मिले छूट
किसानों की मांग को लेकर किसान नेता संकेत ठाकुर ने कहा कि धान खरीदी होती रही बोनस को लेकर राज्य सरकार को ये छूट दी जाए कि वो अपने हिसाब से धान खरीदी कर सकते हैं. राज्य का आरोप है कि केन्द्र ने रोक लगाई है, हमारी मांग हे कि किसानों को 2500 रूपए धान की कीमत मिलनी चाहिए. सरकार के द्वारा सब्सिडी को हटाया जा रहे वो पूर्व से चलती रहे. बिजली पर किसी तरह के टैक्स का भार ना लगे.
12 महीने काम लेकिन वेतन 11 महीने की मिलती है
कर्मचारियों की मांग को लेकर कर्मचारी नेता विजय झा ने कहा कि आयकर के स्लैब की सीमा बढ़नी चाहिए. सरकारी कर्मचारियों से सरकार जो इनकम टैक्स लेती है, उसकी वजह से हम 12 माह काम करते है लेकिन तनख्वाह 11 माह की मिलती है, पहले हम 12 माह नौकरी करते थे 13 माह तक सैलरी मिलती थी, दिवाली के समय 1 माह की अतिरिक्त सैलरी बोनस के रूप में मिलती थी. 2004 के बाद जिनकी नौकरी लगी है उनकी पुरानी पेंशन योजना एक बार फिर से लागू होनी चाहिए. वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ते को केन्द्र सरकार रोक कर रखी है. कृषि कानून पर आप कहते है कि एक देश एक कानून उसी तरह एक देश एक वेतन भी होना चाहिए.
सभी लोगों तक पहुंचे योजनाएं
कामकाजी महिला निम्मी चौबे ने बताया कि जमीन से जुड़े व्यक्ति से लेकर प्रतिष्ठित व्यक्ति तक केन्द्र की योजनाएं पहुंचनी चाहिए. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाए जाने की कोशिश करनी चाहिए. महिलाओं के लिए घरेलू कामकाज संबंधित छोटे उद्योग स्थापित करने पर विचार करना चाहिए उसे प्रचार किया जाना चाहिए. जिससे यदि किसी महिला को काम की आवश्यकता है तो उसे काम मिल सकें.