लक्ष्मीकांत बंसोड़,बलोद। शिक्षकों के खिलाफ किए गए कार्य और शिक्षक सम्मान समारोह नहीं से नाराज छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के जिला अध्यक्ष देवेंद्र हरमुख ने आवाज उठाया था. जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी बालोद ने आरोप को सिद्ध करने के लिए साक्ष्य सहित कारण बताओ नोटिस किया था. डीईओ के एक पेज के नोटिस का जवाब देवेंद्र हरमुख ने 48 पेज का साक्ष्य के साथ दिया है.

सहायक शिक्षक फेडरेशन के जिला अध्यक्ष देवेंद्र हरमुख ने दिए गए जवाब में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख कर बताया कि उन्होंने शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव के आदेश की अवहेलना की है. विकास खंड शिक्षा अधिकारी गुंडरदेही के द्वारा बहुत सारे शिक्षकों के ऊपर लिखित में कार्रवाई की गई, जो छत्तीसगढ़ शासन के नियम विरुद्ध है. शिक्षक सम्मान समारोह ना होने के साक्ष्य में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पूछा गया था कि देश, प्रदेश और कौन-कौन से जिले में यह आयोजन हुआ.

जिला शिक्षा अधिकारी को यह भी पता नहीं था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऑनलाइन यह पुरस्कार प्रदान किया है. जिसके साक्ष्य के रूप में फोटोग्राफ्स के साथ और प्रदेश की सपना सोनी को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है. जिसका फोटोग्राफ्स साक्ष्य के रूप में दिया गया. अन्य राज्यों एवं छत्तीसगढ़ में हुए विभिन्न जिलों में यह कार्यक्रम 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन संपन्न हुआ. उसका साक्ष्य भी फोटोग्राफ्स के साथ और न्यूज़पेपर के साथ उन्हें प्रदान किया गया.

इस कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए देवेंद्र हरमुख खुद जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय गए थे. वहां 12 बजे से लेकर 5 बजे तक उन्होंने इंतज़ार किया. डीईओ से मिलकर इस बारे में चर्चा करने के लिए बैठे रहे पर जिला शिक्षा अधिकारी ना तो फोन उठाएं और ना ही व्हाट्सएप में किए गए मैसेज का जवाब दे पाए. जिले के शिक्षकों को जब यह पता चला, तो वो भी बड़ी संख्या में जिला शिक्षा अधिकारी बालोद के इस प्रकार की गई दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ कार्यालय पहुंच गए.

जिले में यह कौतूहल का विषय है कि जिला शिक्षा अधिकारी के एक पेज के जवाब में देवेंद्र हरमुख ने 48 पेज का जवाब जो प्रस्तुत किया. इस कार्रवाई के खिलाफ सभी शिक्षकों में रोष है. वे जिला शिक्षा अधिकारी के इस प्रकार किए गए दुर्भावना पूर्वक और हठधर्मिता पूर्वक किए गए कार्य के खिलाफ जल्द ही बड़ा आंदोलन करने के मूड में आ गए हैं.

बता दें कि इसके पहले भी जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों को हराम का वेतन पाने वाले कहा था. जिसके खिलाफ सबसे पहले देवेंद्र हरमुख ने ही आवाज उठाया था और उन्हें सार्वजनिक तौर पर अपने शब्दों को वापस लेकर शिक्षकों से अपने इस शब्द की माफी मांगने के लिए कहां गया था, लेकिन वे आज तक अपने इस शब्द पर खेद प्रकट नहीं किए. यह बताता है कि उनका नजरिया शिक्षकों के प्रति कैसा है.