हेमंत शर्मा,रायपुर। श्री संकल्प सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर कमलकांत आदिले ने आरंग के 65 वर्षीय एओर्टिक स्टेनोसिस से पीड़ित मरीज के हार्ट में टावर पद्धति से नया वाल्व इंप्लांट कर उसे नया जीवन प्रदान किया है. इस तरह की बीमारी में मरीज का वाल्व पूरी तरह से खराब हो जाता है. जिसकी वजह से नशों में सिकुड़न आ जाती है और वह बढ़ने लगती है. जिसके कारण पम्प करने वाली सभी नशों पर भी दबाव बढ़ने से वह भी सिकुड़ने लग जाती है. इस प्रकार की बीमारी के अब तक छत्तीसगढ़ में केवल तीन ही ऑपरेशन हुए है. उन हॉस्पिटलों की सूची में अब रायपुर का श्री संकल्प सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल का नाम भी शुमार हो गया. अस्पताल के ह्रदय रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर कमलकांत और उनकी टीम ने इस कठिन ऑपरेशन को पूरा किया.

प्रेस कांफ्रेस में मीडिया कर्मियों से जानकारी साझा करते हुए डॉक्टर कमलकांत ने बताया कि आरंग निवासी 65 वर्षीय बंसीलाल बंजारा के हार्ट में जो चार वाल्व होते है, उनमें से एक वाल्व में काफी सिकुड़न आ गई थी. जिस कारण पम्प करने वाली जो नसों पर काफी ज्यादा दबाव बढ़ने लगा. जिसके चलते वे नसे जितना पम्प करना चाहिए, उतना नहीं कर पा रही थी. इसकी वजह से मरीज को सांस लेने में काफी मुश्किले हो रही थी. इस प्रकार के ऑपरेशन या तो ओपन हार्ट सर्जरी से किये जाते है या टॉवर (ट्रांसकैथरेटर एओटिक वाल्व रिप्लेसमेंट) से किये जाते है. ओपन हार्ट सर्जरी में इस प्रकार के ऑपरेशन मरीन के लिए काफी कठिन होते है. जिनमें मरीजों की जान को खतरा होता है. विशेषकर ऐसे मरीज जो ह्रदय के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी ग्रसित रहते है. बंशीलाल को ह्रदय के साथ किडनी की भी बीमारी है. इसी के चलते टॉवर से उसके वाल्व को बदला गया.

डॉक्टर कमलकांत आदिले ने आगे बताया कि इस पद्धत्ति में बिना चीरफाड़ के मरीज में नसों के माध्यम से वाल्व को अंदर ले जाया जाता है और जो वाल्व खराब हो गया है उसके स्थान पर उसे ट्रांसप्लांट किया जाता है. यह ऑपरेशन पूरी तरह से सुरक्षित होता हैय विशेषकर ऐसे मरीजों में जिन्हें दूसरी अन्य बीमारी भी रहती है, क्योंकि इसमें संक्रमण होने की संभावना लगभग नगण्य होती है और मरीज चार पांच दिन में स्वस्थ होकर घर वापस लौट जाता है. प्रेस कांफ्रेस में डॉक्टर कमलकांत के साथ डॉक्टर शैलेन्द्र उपाध्याय, डॉक्टर सीएम सिंह और वर्षा झंवर मौजूद थे.