सुप्रिया पांडे,रायपुर। समाज कल्याण विभाग की पहल से थर्ड जेंडर समुदाय संबंधित कानून के बारे में जागरूकता लाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस आयोजन में छत्तीसगढ़ मितवा कल्याण समिति की सचिव रवीना बरिहा आज छत्तीसगढ़ पहुंची थी, जहां उन्होंने विभागीय अधिकारियों को कानून के बारे में जानकारी दी. जिससे आने वाले दिनों में थर्ड जेंडरों को किसी भी क्षेत्र में समस्या का सामना ना करना पड़े. थर्ड जेंडर रिचा शर्मा ने बताया कि उसके साथ स्कूल में कैसे भेदभाव हुआ था.

थर्ड जेंडर रिचा शर्मा बताती है कि एक शिक्षिका मेरे सपोर्ट में थी, लेकिन दूसरी मुझे समझ ही नहीं पाती थी. मुझे मैथ लेने की इच्छा थी, लेकिन मैं डरती थी कि अगर फिर उस टीचर की क्लास में जाऊंगी, तो वो मुझे फिर परेशान करेगी. इस दबाव में आकर मैंने कामर्स लिया. मैं इन बातों को घर तक नहीं जाने देना चाहती थी. मेरे साथ ऐसा भी होता था कि मैं कभी-कभी काजल लगाकर स्कूल चली जाती थी, तो टीचर कहती थी कि तुम लड़का हो, ये सब मत किया करो. वो मेरी मानसिकता समझ नहीं पाती थी. इन परेशानियों को देखते हुए हम सरकार के साथ मिलकर एक पॉलिसी बना रहे है. जिसका फॉलोअप होता रहेगा और आने वाले समय में बच्चों को इस तरह की परेशानियां नहीं होगी. अब कुछ शिक्षक भी ट्रांसजेंडरों के बर्ताव के बारे में पढ़ने लगे है.

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मितवा संकल्प समिति की अध्यक्ष विद्या राजपूत बताती है कि उभय लिंगी अधिकार संरक्षण 2019 के साथ ही कुछ नियमों में संशोधन किए गए है. उसकी संवेदनशीलता और जागरूकता के लिए आज समाज कल्याण विभाग रायपुर के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन किया गया था. तृतीय लिंग अधिनियम के अलग-अलग अध्याय के बारे में जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को जागरुक किया गया. आज भी हमारा समाज पिछड़ा है. जिस वजह से ये कोशिश की जा रही है कि इस कानून के जरिए लोग जागरूक हों.

समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भूपेंन्द्र पाण्डेय ने कहा कि तृतीय लिंग समुदाय को लेकर एक जागरूकता की आवश्यकता है. राज्य शासन और केंद्र शासन द्वारा 2014 और 2019 में बनाए गए कानून में संशोधन हुए है, उस पर चर्चा की गई. आने वाले समय में तृतीय लिंग समुदाय के लोगों को पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा, उन्हें रोजगार भी मिले. ये कोशिश की जाएगी.