आशुषोत तिवारी, जगदलपुर। बोधघाट परियोजना से प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा है कि अभी इस परियोजना में बहुत सी प्रक्रिया बची हुई है. 2022 तक इसका सर्वे किया जाना है, जिससे यह जानकारी मिलेगी कि कितने किसानों को किस तरह इसका लाभ मिलेगा, तब इसका प्रांकलन तैयार किया जायेगा. इसके अलावा भारत  सरकार से अनुमति लेना और वन विभाग के साथ-साथ कई विभागों की अनुमति शेष है. राज्यपाल ने कहा कि सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ग्रामसभा के तहत ग्रामीणों की स्वीकृति ली जाएगी.

राज्यपाल अनुसुईया उइके अपने दो दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुंची हुई है. इस दौरान राज्यपाल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बोधघाट परियोजना को लेकर बनी विवाद की स्थिति पर कहा कि परियोजना को लेकर बस्तर के आदिवासी शंकित हैं, उन्हें लगता है इस परियोजना के शुरू होने से वे बेघर हो जायेंगे. राज्यपाल ने 1979 के समय बोधघाट परियोजना पर किये गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि तब इसे थर्मल पावर स्टेशन के तौर पर शुरू करने की योजना थी, जिसे बंद कर दिया गया था, पर अब शासन ने इसे दूसरे दृष्टिकोण से देखते हुए सिंचाई परियोजना के रूप में शुरू करने का फैसला किया है. इससे पूर्व के विस्थापन की योजना को देखते हुए आदिवासियों का डर स्वाभाविक है.

उन्होंने सभी को विश्वास में लेने की कोशिश करते हुए कहा की इस परियोजना के तहत इस बात पर उनकी निगरानी होगी कि इससे आदिवासियों का हित हो रहा है या नहीं और उनके रहते किसी भी आदिवासी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. आपको बता दें कि बोधघाट परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम आमने-सामने हैं. एक ओर जहाँ अरविन्द नेताम इस परियोजना के विरोध में हैं, तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहां है कि आदिवासियों के हित के लिए यह परियोजना अत्यंत आवश्यक है, और इस फैसले के साथ ही सी एम ने विरोध करने वालों से सवाल भी पूछा है कि उनके पास और कोई योजना हो तो बताएं.

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान उन्हें जानकारी मिली कि बहुत से नक्सली जो आत्मसमर्पण कर रहे है. ऐसे ही आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए आवास की व्यवस्था के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की है. मुख्यमंत्री ने इसका घोषणा भी कर दी है और दंतेवाड़ा में लगभग यह आवास का काम भी जारी है. उन्होंने कल ही खुले मंच से नक्सलियों को अपनी जिद छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की अपील भी की है.

उन्होंने बताया कि बस्तर कलेक्टर से चर्चा होने के बाद क्षेत्र में जारी विकास कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों को बस्तर संभाग के सभी जिलों में चल रहे विकास कार्यों में तेजी लाने को कहा है. साथ ही दंतेवाड़ा के कुछ लोग जो उनके पास आए थे, और बताया कि कुछ ऐसे गांव हैं, जहां शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन ग्रामीणों की बातों को सुन कर राज्यपाल ने आने वाले 10 दिनों में ग्राम कौसलबारा, तुमनार, बेंगलुरू गांव को दंतेवाड़ा से जोड़ा जाने की बात कही, जिससे ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके.

बस्तर में धर्मांतरण गंभीर समस्या

राज्यपाल ने धर्मांतरण को लेकर कहा कि बस्तर में धर्मातंरण काफी गंभीर समस्या है, और लगातार आदिवासियों का धर्मातंरण कर उनके जमीन जायदाद की खरीदी-ब्रिकी की जा रही है, आदिवासी बहनों को बहला-फुसलाकर उनसे विवाह कर उनके जमीन हड़पी जा रही है. राज्यपाल ने कहा कि गैर आदिवासी लोग जिस तरह से आदिवासियों की जमीन खरीद-फरोख्त कर रहे हैं, इसको लेकर उन्होंने जांच कमेटी बनाने की निर्देश दिये हैं. बस्तर में इन पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिये जाने की बात भी राज्यपाल ने कही है.