रायपुर– माओवादी संगठन भारत की कम्यूनिष्ट पार्टी {माओवादी{ दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने एक विज्ञप्ति जारी कर बस्तर इलाके के कुछ पत्रकारों को पूंजीवाद का समर्थक बताते हुए धमकी दी है. इस विज्ञप्ति के जारी होने के बाद बस्तर अंचल के पत्रकार बेहद आक्रोशित हैं और नक्सलियों के इस कृत्य की निंदा कर रहें हैं. वहीं इस मामले पर ट्विटर पर बस्तर पुलिस और राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और नक्सलियों के इस कृत्य की निंदा की है.
जनसंपर्क विभाग ने ट्विट कर कहा है कि बस्तर में लौट रही शांति और लोकतंत्र पर लोगों के बढ़ते विश्वास से बौखलाये नक्सलवादियों ने पत्रकारों को धमकी देकर अपनी असलियत एक बार फिर उजागर कर दी है.शासन अभिव्यक्ति की सुरक्षा के लिये प्रतिबद्ध है और इसके लिये तत्परता के साथ काम करता रहेगा.
वहीं बस्तर पुलिस ने अपने आफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि पत्रकारिता,राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों को धमकी देना माओवादियों की नकारात्मक सोच,खोखली विचारधारा,बौखलाहट एवं भय को दर्शाता है.माओवादियों का जन विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है.क्षेत्र के नागरिक की सुरक्षा हेतु बस्तर पुलिस समर्पित है.
नक्सलियों की इस विज्ञप्ति पर बस्तर के पत्रकारों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पत्रकारों का कहना है कि बस्तर में कलम की डगर दुधारी तलवार है. यहां कदम-कदम पर सख्त पहरा है. कभी पुलिसिया तो कभी नक्सलियों की नजर में हम चुभते है. साल 2013 पत्रकार नेमीचन्द और फिर पत्रकार साईं रेड्डी की हत्या. नक्सलियों को इनसे कैसा खतरा पनपा कि वो जान लेने पर उतारू हो गए.ये जरूर हुआ कि इनकी हत्या के बाद इसे महज संगठनातमक त्रुटि का हवाला देकर माओवादियों ने अपना पलड़ा झाड़ लिया.
बस्तर के एक पत्रकार संगठन ने कहा कि आज एक बार फिर बस्तर में कलमकार नक्सलियों की नजरों में कील नजर आया है. बीजापुर के एक निष्पक्ष, निर्भीक और सदैव आदिवासी हित को लेकर जमीनी पत्रकारिता का चेहरा बनने वाले पत्रकार गणेश मिश्रा के विरुद्ध नक्सलियों ने जो संगीन आरोप लगाए है, ये ना सिर्फ दुखद है बल्कि पत्रकारिता को सीधे बन्दूक की नोक की चुनौती है.मेरा सवाल नक्सलियों से…. एक निष्पक्ष, जमीनी पत्रकार को निशाने पर लेने की क्या वजह रही? मैं पूछना चाहता हूँ कि जिस पर्चे में दलाली का आरोप का उल्लेख है उसमें आरोपों को सिद्ध करने से गुरेज क्यों? हम पत्रकार है जो कठिन हालात में बस्तर के आदिवासियों से जुड़े मसले को बाहर लाते रहे है, तो क्या नक्सलवाद की “गन” नीति कलम पर उस पहरे की तरह मान ले जिसमे राजतंत्र “कलम” पर निगाहें बनाई होती है.. हम हर परिस्थिति से लड़ते रहे है आज एक बार फिर बस्तर के निष्पक्ष कलमकार को “गन” ने चुनौती दी है.
हम तत्पर है, हम पत्रकार है, तैयार रहो.. आ रहे हैं हम..अब सवाल हमारे होंगे, जबाब तुम्हे देना होगा.
दक्षिणसब जोनल कमेटी के नक्सलियों के जारी पर्चे में पत्रकार के नाम आने पर दंतेवाडा के पत्रकारों ने भी रोष जाहिर किया है और कहा है कि पत्रकार माओवादियों की इस कृत्य के खिलाफ आंदोलन करेंगे. पत्रकारों ने कहा कि दक्षिण बस्तर की पत्रकारिता दोधारी तलवार पर हमेशा लटकती रहती है. हाल ही में नक्सलियों की दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने पत्रकारों की पत्रकारिता को लेकर धमकी भरा एक प्रेसनोट जारी कर दिया, जिसमें बस्तर की पत्रकारिता से लम्बे समय से जुड़े पत्रकार लीलाधर राठी, गणेश मिश्रा तक के नामो का जिक्र कर उन्हें टारगेट करने की बात लिखी है.