सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 फरवरी से स्कूल खोलने का फैसला लिया है, लेकिन अब भी परिजन व स्कूल प्रबंधकों के बीच आपसी असमंजस की स्थिति है. स्कूल प्रबंधकों ने स्कूल खोलने की तैयारी पूरी कर ली है और बच्चों को स्कूल बुला रहे है लेकिन परिजन अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि परिजनों का कहना है कि 25 फरवरी से बच्चों की परीक्षाएं आयोजित की गई है. वहीं स्कूल प्रबंधक ने कहा जिन बच्चों को डाउट है वे अपने स्कूल आकर डाउट क्लीयर कर सकते हैं. यदि बच्चे स्कूल नहीं आना चाहते तो कोई जबरदस्ती नहीं है.

मामला केपीएस स्कूल डूंडा का है, जहां नाम न उजागर करने की शर्त पर परिजनों ने बताया कि केपीएस स्कूल में 25 फरवरी से परीक्षाएं आयोजित की गई है. लेकिन 17 फरवरी से ही बच्चों को पढ़ाई के लिए आमंत्रित किया गया है. बच्चों की पढ़ाई पूरी हो गई है. लेकिन अब पता नहीं किस वजह से बच्चों को बुला रहे है.

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केपीएस स्कूल दूर है. इसलिए हमने अपने बच्चों के लिए बस की व्यवस्था की थी लेकिन स्कूल प्रबंधक के द्वारा बस भी नहीं भेजा जा रहा है. हम अपने काम पर जाएंगे या बच्चों को स्कूल छोड़ेंगे. कोरोना काल में स्कूल बंद थे. साल भर से प्रैक्टिकल एग्जाम नहीं हुए और स्कूल प्रबंधकों ने प्रैक्टिकल परीक्षा की फीस भी वसूली है.

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स्कूल के डॉयरेक्टर आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों को यदि कोई समस्या है या कोई सवाल नहीं बन रहे है तो वे स्कूल आकर डाउट क्लीयर कर सकते हैं. उस वजह से स्कूल बुलाए गए है. बच्चे घर पर रहना चाहे वो घर पर ही पढ़ सकते है. प्रैक्टिकल परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की गई थी. ऑफलाइन भी परीक्षाएं ली जाएंगी उसकी फीस वसूली गई है . बस ना चलने की बात है तो हम शासन की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे है यदि शासन आदेश जारी करते है तो हम बस की व्यवस्था भी करेंगे. बशर्ते ट्रांसपोर्ट फीस पटाने वाले बच्चों के लिए ही बस की व्यवस्थाएं होंगी.