रायपुर. असम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंगलवार को असम में राहा और बोको में ट्रेनिंग कार्यक्रम में शरीक रहेंगे. इससे दो दिन पहले उन्होंने शिवसागर में अपने राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के साथ सफल जनसभा की. दो दिन बाद ही फिर से असम जाकर ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने दो बातें साफ कर दी हैं. पहला वे पर्यवेक्षक बनने के बाद मज़बूती और पूरी मेहनत करके चुनाव लड़ने के हक़ में है. दूसरा कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग को वे मैदान ए असम के लिए कितना अहम मान रहे हैं.

भूपेश बघेल के इस दौरे तक 41 विधानसभाओं में ट्रेनिंग का कार्यक्रम पूरे हो चुके हैं. 44 सीटों पर बूथ ट्रेनिंग का कार्यक्रम बन चुके हैं. अगले दो-तीन दिन में शेष 33 सीटों के कार्यक्रम भी बन जाएंगे.

ट्रेनिंग का कार्यक्रम छत्तीगसढ़ की तर्ज पर हो रहा है. सबसे पहले मास्टर ट्रेनर्स को ट्रेनिंग दी गई. उसके बाद ट्रेनिंग का कार्यक्रम बनाकर वहां और यहां दोनों जगहों की टीमों को झोंका गया. छत्तीसगढ़ की टीम के पास मुख्य रुप से बूथ मैनेजमेंट का काम है. जबकि कांग्रेस के इतिहास से परिचय, बीजेपी की नाकामी के मसले पर ट्रेनिंग वहीं के पदाधिकारियों से दिलाई जा रही है. ट्रेनिंग के लिए कुल चार टीमें बनाई गई है. छत्तीसगढ़ के लोग भी चार टीमों में बंटे हुए हैं. एक टीम का जिम्मा मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी के पास है. दूसरी टीम की कमान विनोद वर्मा ने संभाल रखी है. तीसरी टीम में अटल श्रीवास्तव और नरेश ठाकुर हैं. चौथी टीम में एजाज ढेबर और निर्मल कोसरे हैं. राजेश तिवारी के साथ गुलाब कमरो और आलोक चंद्राकर भी हैं.

मुख्य रुप से छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टीमों के कामकाज को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने तीन सलाहकारों के मार्फत करा रहे हैं. राजेश तिवारी बताते हैं कि जिम्मा मिलने बाद जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां आए तो उन्होंने देखा कि यहां पार्टी चुनावी मोड में ही नहीं है. चूंकि यहां पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव पार्टियों के निशान पर होते हैं, लिहाज़ा पार्टी के कार्यकर्ता हर बूथ तक हैं. लेकिन वो सक्रिय नहीं है भूपेश ने इस बात के मद्देनज़र 3 ई का फार्मूला दिया. उन्होंने असम में कार्यकर्ताओ को इंगेज, इंफॉर्म्ड और इम्पावर्ड करने के निर्देश अपनी टीम को दिए. इसलिए उन्होंने अपने ट्रेनिंग कार्यक्रम को आधार बनाया और उसका पूरा जिम्मा राजेश तिवारी और विनोद वर्मा को दिया. सांगठनिक तौर पर अपर असम में राष्ट्रीय सचिव बनाये गए विकास उपाध्याय खूब मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने प्रशिक्षण में भी पसीना बहाया है.

पार्टी के एक और नेता नाम ना लिखने की शर्त पर बताते हैं कि पार्टी के राज्य के बड़े नेता मैदान में उतरने से गुरेज करते थे. उनके बीच समन्वय की कमी महसूस की जा रही थी. भूपेश बघेल ने इस बात को समझा, वे आते ही खुद लोगों के बीच जाने लगे. जिसके बाद पार्टी के बड़े नेता भी मैदान में कूदे.

राजेश तिवारी बताते हैं कि पार्टी ज़मीन पर यहां हमेशा ही मज़बूत रही है. कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास भरना और उन्हें सही दिशा में लगाना बेहद ज़रुरी था. इस लिहाज़ से जांचा-परखा ट्रेनिंग कार्यक्रम उचित था. राजेश तिवारी कहते हैं कि रोज़ पार्टी 7-8 विधानसभाओं को कवर कर रही है. जब कार्यकर्ताओं को पार्टी के इतिहास की जानकारी दी जाती है. उन्हें छत्तीसगढ़ में हो रहे काम के बारे में जानकारी मिलती है तो उनका आत्मविश्वास लौट आता है. बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार की नाकामियों और वादा खिलाफियों के बारे में जानकर कार्यकर्ता मैदान में उतरने के लिए उतावले हो जाते हैं. पार्टी ने असम बचाओ अभियान भी शुरु कर दिया है. राहुल गांधी जैसे नेताओं की रैलियां आत्मविश्वास से लबरेज कार्यकर्ताओं में बीजेपी को हराने का जज़्बा भर देती हैं. शिवसागर की रैली इसका उदारहण है, जिसमें दूर-दूर से लोग जुटे थे. मैदान खचाखच भरा हुआ था और पूरे शहर में चहल पहल थी. शिवसागर की ओर आने वाली सड़कें गाड़ियों से पटी पड़ी थी. शिवसागर अपर असम की वो जगह है, जहां बीजेपी बहुत मज़बूत मानी जाती है.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के एक विधायक कहते हैं कि अगर छह महीने पहले यहां छत्तीसगढ़ के लोगों को भेज दिया जाता तो बीजेपी मैदान से गायब हो जाती. हालांकि पार्टी अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.