सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। यदि आप मुंह बांध कर बोलेंगे की हंसो…पैर बांध कर कहेंगे की दौड़ो, ये कैसे होगा. एक तरफ बारदाना दे नहीं पा रहे. दूसरी तरफ पुराने बारदाने से धान आया, तो चावल भी पुराने बारदाने में जमा होगा. उसमें भी कंडीशन लगाएंगे तो कैसे चलेगा. उम्मीद है कि जल्दी परमिशन मिलेगी. यह बयान खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने दिया. उन्होंने पुराने बारदाने में एफसीआई द्वारा चावल नहीं लेने पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
धान नुकसान होने पर समिति होंगे जिम्मेदार
मंत्री अमरजीत भगत ने मौसम परिवर्तन की स्थिति में धान के रखरखाव को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि धान खरीदी की समस्त व्यवस्थाओं को लेकर पूरे पैसे समिति को दिए गए है. समिति को निर्देश है कि धान किसी भी स्थिति में खराब नहीं होनी चाहिए. यदि कुछ नुकसान होता है तो समिति उसके लिए जवाबदेह है वो नुकसान समिति के खाते में जाएगा. वहीं धान खरीदी के परिवहन और रख रखाव की संपूर्ण जवाबदारी जिले के अनुसार दी गई है. विभाग के सेक्रेटरी व अन्य सभी लोगों को निर्देश दिये गए है कि किसी भी स्थिति में धान का रख रखाव व परिवहन की व्यवस्था को ठीक करना है.
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इधर, बीजेपी ने धान के रखरखाव में अव्यवस्था का आरोपी लगाया है. इस आरोप पर मंत्री भगत ने कहा कि बीजेपी के नेताओं के बयानबाजी के सिवा और कुछ काम नहीं है. ये लोगों को भड़काने व उकसाने का काम करते हैं. भाजपा का दायित्व बनता है कि यहां के किसानों की मूलभूत समस्या है उसे दूर करे. केवल बयानबाजी व राजनीति से प्रदेश का भला नहीं होगा.
केंद्र आश्वासन के बाद मुकर गया
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी ने रिकॉर्ड तोड़ा है. 20 लाख मीट्रिक टन धान के निराकरण व समाधान के लिए हमने पॉलिसी बनाई है. शेष 40 लाख मैट्रिक टन धान के लिए हमने भारत सरकार के खाद्य मंत्री को पत्र लिखा है. सेंट्रल ने हमे सहमति दी थी कि राज्य का 60 लाख मैट्रिक टन केंद्रीय पुल में चावल जमा होगा, लेकिन अनुबंध करने की बारी आई तो 24 लाख मैट्रिक टन का ही उन्होंने दिया है.
‘नक्सलवाद खात्मे के लिए धान खरीदी जरूरी’
सभी विभाग चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या का समाधान हो. समाधान के लिए वहां के किसान और आदिवासियों से हमें धान खरीदना पड़ेगा. हम उन्हें छोड़ नहीं सकते. इसलिए हमने पुनः स्मरण पत्र लिखा है और कहा कि सरकार त्वरित निर्णय ले.
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केंद्रीय टैक्स में राज्य का हिस्सा संवैधानिक हक
एक्साइज ड्यूटी को लेकर सीएम के पत्र पर मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री शुरू से ही प्रदेश के हित को ध्यान में रखते हुए पक्ष रखते आ रहे हैं. मंत्री बोले कि भारत सरकार सुनना नहीं चाहती. कुछ करना नहीं चाहती तो हम आगे क्या बोलेंगे. यह संवैधानिक व्यवस्था है. राज्य का जो हक है, उन्हें मिलना चाहिए. जो अन्य केंद्रीय टैक्स लगा रहे हैं. उसमें राज्य का हिस्सा नहीं दोगे तो व्यवस्था कैसे चलेगी.