बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी साहित्य, पत्रकारिता और समाज सेवा के क्षेत्र में पद्मश्री पं श्यामलाल चतुर्वेदी ने अविस्मरणीय योगदान दिया. छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास, उन्नयन के लिए उनके कार्य, व्यक्तित्व, कृतित्व का पीढ़ियों तक अनुकरण किया जाएगा. पं चतुर्वेदी जितने प्रखर लेखक थे, उतनी ही उनकी वाणी में बेबाकपन था. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष रहे, साहित्य और पत्रकारिता में ताजिंदगी सक्रिय रहकर अविभाजित मध्यप्रदेश तक अपने शहर और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया. यह बात सांसद अरुण साव ने पं चतुर्वेदी की 96 वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में कही.

कार्यक्रम में मौजूद रहे महापौर रामशरण यादव ने कहा कि पं चतुर्वेदी, पूर्व मंत्री स्वर्गीय बीआर यादव के सानिध्य में रहने का लंबा अवसर मिला. कंधे पर लटकता झोला और साइकिल चतुर्वेदी जी के सादगीपूर्ण जीवन का अंग था. सामान्य कार्यकर्ता हो या मुख्यमंत्री तक से सीधे संवाद करने वाले पं चतुर्वेदी काम को महत्व देते थे. शहर के प्रति उनकी चिंता, विकास के लिए पहल और उनकी साहित्य साधना अविस्मरणीय है. उनके आदर्शों पर चल कर समाज की बेहतर सेवा की जा सकती है.

पूर्व मेयर किशोर राय ने कहा कि पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के नेतृत्व में उन्होंने मेयर का दायित्व संभाला और उनकी प्रेरणा से ही पं चतुर्वेदी के अवसान के बाद उनकी प्रतिमा स्थापना के लिए प्रस्ताव पास करने, पहल करने का अवसर लिया. जो देश और समाज के लिए कार्य करते हैं, उनके सम्मान की परंपरा निरंतर जारी रखेंगे. सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि सौभाग्य की बात है कि पिछले कार्यकाल में प्रस्ताव पारित करने तथा मेयर यादव के कार्यकाल में उसे मूर्त रूप देने के वक्त सब एक मंच पर हैं.

नगर विधायक शैलेष पांडेय ने कहा कि पं चतुर्वेदी ने पत्रकारिता, साहित्य के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को अपूर्व योगदान दिया, वे अमर रहें. छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने छत्तीसगढ़ी के लिए कार्य किया. उन्होंने संस्मरण में बताया कि पं चतुर्वेदी पारिवारिक शोकवश श्मशानघाट में थे, ऐसे गंभीर मौके पर भी वह परहित, दूसरों की चिंता किए, ऐसा कोई महापुरुष ही कर सकता है. जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कहा कि समाज, साहित्य और आमजन के लिए पं चतुर्वेदी गौरव थे. उनकी यादों को संजोए रखने की जवाबदारी हम सबकी है.

आभार प्रकट करते सूर्यकांत चतुर्वेदी ने कहा कि पद्मश्री पं चतुर्वेदी की तिरंगे में लिपट कर जाने की इच्छा थी, परंतु अंत्येष्ठि के वक्त किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाया पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया, मेयर रामशरण यादव, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया, पूर्व मेयर किशोर राय सहित निगम परिवार ने भव्य प्रतिमा स्थापना कर बड़ा सम्मान किया. अब यह पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्थल बन चुका है.

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे डा. विनय पाठक ने बताया कि पद्मश्री पं चतुर्वेदी की षष्ठीपूर्ति के अभिनंदन ग्रंथ जिसका संपादन उन्होंने किया, विमोचन में देश के नामचीन साहित्यकार पहुंचे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ी साहित्य के क्षेत्र में पं चतुर्वेदी, द्वारिकाप्रसाद तिवारी विप्र और प्यारेलाल गुप्तजी के योगदान की चर्चा की. तीनों विभूतियों का देशभर में नाम था. उन्हें पं चतुर्वेदी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर दो छात्रों को पीएचडी कराने का गौरव हासिल हुआ.

कार्यक्रम में नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी, वरिष्ठ पत्रकार पीयूष मुखर्जी, साहित्यकार राघवेंद्र दुबे, बिलासा कला मंच के संरक्षक डा.सोमनाथ यादव, बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष तिलकराज सलूजा, सचिव वीरेंद्र गहवई, कोषाध्यक्ष रमन दुबे, एमआईसी सदस्य राजेश शुक्ला, चंद्रशेखर बघेल, आदित्य तिवारी, शशिकांत चतुर्वेदी, अंबरीश चतुर्वेदी, बिंदेश्वरी वर्मा, संगीता श्रीवास्तव, प्रवीण सक्सेना, अनुपम मिश्रा, डा.एलसी मंढरिया, भुवन वर्मा, ममता मिश्रा, राकेश पांडेय, सन्नी पांडेय, शुभा पांडेय, डा. सुषमा शर्मा, शुभम शर्मा, कांग्रेस नेता धर्मेश शर्मा, राजकुमार तिवारी, अर्जुन सिंह, दिलीप कक्कड़ उपस्थित थे.