सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। दोस्ती भी क्या गज़ब की चीज़ होती है, मगर ये भी बहुत कम लोगों को नसीब होती है, जो पकड़ लेते है ज़िन्दगी में दामन इसका, समझ लो के जन्नत उनके बिलकुल करीब होती है.
एक साथ स्कूल में पढ़कर दोस्त बनने, एक साथ हॉस्टल में रहकर दोस्ती, सोशल मीडिया पर चैटिंग करते हुए दोस्ती. ऐसी ना जाने कई किस्से लोगों ने सुने होंगे. लेकिन रायपुर में युवाओं का ऐसा ग्रुप है जिन्होने मिलकर त्रिवेत द बैंड की शुरूआत की.
इस बैंड की शुरूआत तीन दोस्तों ने मिलकर की थी. हमेशा से कुछ अलग करने की चाह को लेकर हर्ष अवधिया बताते है कि हम सूफी गानों को अपने तरीके से पेश करते हैं हम शुरूआत से ही कुछ नया करना चाहते हैं, रायपुर में काफी सारे बैन्डस है लेकिन हमारा कांसेप्ट सबसे अलग है.
संजय कश्यप कहते है कि हमने बचपन से ही सूफी गाने सुने है.. वही जहन में भी है तो हम चाहते हैं कि लोगों को सूफी गाने का एक नया रूप देखने को मिले. हम 2011 से शो कर रहे है. हमने राज्योत्सव, राजिम मेले जैसे बड़े स्टेजों पर भी हमने प्रस्तुति दी है. हम बचपन के दोस्त हैं गाने के साथ ही फ्रेंडशिप भी इंजॉय करते है.
लक्ष्मीकांत सेन बताते है कि तीन लोगों ने मिलकर इस बैंड की शुरुआत की है इसलिए हमने इसका नाम त्रिवेद द बैंड रखा. 2011 से लगातार हम परफार्म कर रहे है.
ओम वर्मा ने कहा कि सबका अपना अलग जोनर होता है. किसी को रॉक में तो किसी को पॉप में…लेकिन हम लोगों में सबसे अच्छी बात ये है कि हम सभी को सूफी ही पसंद था. दोस्ती में कुछ न कुछ कॉमन तो होता ही है. हमारे लिए सूफी म्यूजिक कॉमन है तो हम उसी में आगे बढ़ गए.
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