सत्यपाल राजपूत, रायपुर। शिक्षा में सुधार लाने के लिए 2009 में तत्कालीन यूपीए सरकार आरटीई कानून लेकर आई थी. कानून का मकसद सरकारी स्कूलों की दशा को सुधारना और निजी स्कूलों की मनमानी को रोकना था, लेकिन कानून बनने के 12 साल बाद भी इसका पालन प्रभावी रूप से राज्यों में नहीं हो रहा है. छत्तीसगढ़ में ये कानून पूरी तरह फेल नजर आती है. दस्तावेजों में हुए खुलासे से यह साफ हो जाता है कि राज्य में कानून किस तरीके से माखौल उड़ाया जा रहा है. इसमें निजी स्कूलों के साथ स्कूल शिक्षा विभाग भी जिम्मेदार नजर आता है.

70 प्रतिशत स्कूल किराएं के घर में संचालित

प्रदेश में 10 हजार 370 निजी स्कूल है, जिसमें 7 हजार (लगभग 70 प्रतिशत) निजी स्कूल किराएं के मकान में संचालित हो रहे हैं. ऐसे स्कूलों के पास खेल का मैदान भी नहीं है. इसके बावजूद संचालित हो रहे है. हर साल मान्यता रिन्यूअल भी किया जाता रहा है, जबकि नियमानुसार स्वयं का स्कूल भवन हो, खेल का मैदान हो.

शिक्षा का अधिकार कानून को लागू होकर 12 वर्ष हो चुका है लेकिन आज भी प्रायवेट स्कूलों में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाता और न ही उनकी सेवा पुस्तिका संधारित किया जाता है और न ही उन्हें बोर्ड द्वारा निर्धारित वेतन दिया जा रहा है. सिर्फ नौकरी देने के नाम पर उनका शोषण किया जा रहा है. आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित बच्चों को अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का प्रावधान है, जिसके लिए पेशेवर प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति किया जाना चाहिए जो नहीं किया जा रहा है.

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नियम कानून के नाम पर खानापूर्ति

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रायवेट स्कूलों को अपना लेखा-जोखा, स्कूल फीस, शुल्क पंजी, वेतन संदाय पंजी, व्यय पंजी, व्हाउचर, कैशबुक, स्टॉक पंजी, लेजर बुक और ऑडिट रिपोर्ट और बैलेंस शीट प्रस्तुत करना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित बच्चे बड़ी संख्या में हर साल स्कूल छोड़कर (Dropped out) हो रहे है. इसकी गंभीरता से जांच नहीं किया जा रहा है.

मान्यता पर सवाल

निर्धारित मानक और मापदंड़ों का पालन करने वाले प्रदेश मे निजी स्कूलों की संख्या बहुत ही कम है लेकिन हर साल डीईओ के द्वारा सुविधाविहीन स्कूलों को स्कूल संचालित करने की अनुमति/मान्यता दिया जा रहा है. ऐसे स्कूलों को बोर्ड से संबंद्धता भी दे दिया जाता है. ज्यादातर प्रायवेट स्कूल रेसिडेंसियल भवन में संचालित है, जबकि स्कूल संचालित करने के लिए स्कूल भवन एवं ग्राउंड का प्रावधान है.

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जिनके कंधों पर जिम्मेदारी वही मौन

पैरेंट एसोसिएशऩ ने सवाल उठाते हुए कहा कि निजी स्कूलों के पास मापदंड के अनुरूप न स्कूल भवन न ग्राउंड न व्यवस्था फिर भी मान्यता कैसे मिल जाती है. जिन नियम कानूनों को शिक्षा में गुणवत्ता लाने एवं व्यवस्था सुधारने के लिए लागू किया जाता है, जिनके कंधों में नियम कानून को पालन करने की जिम्मेदारी है, वहीं नियम कानून को बाईपास कर रहे तो स्कूलों में दी जा रही शिक्षा का स्तर क्या होगा ये समझा जा सकता है.

निजी स्कूल शिक्षकों का दर्द

निजी स्कूलों के शिक्षकों ने अपने एवं स्कूलों के नाम उजार नहीं करने के शर्त में बताए कि हममें और मजदूरों में कोई खास अंतर नहीं रह गया है, मजदूर धुप पानी के बीच खेत अन्य जगह काम करते है और हम स्कूल के छत के नीचे जैसे उनको दिहाड़ी का भुगतान सप्ताह में, दिन प्रतिदिन होता है और हमार महीने में भुगतान होता है, प्रायवेट स्कूलों में कोई भी प्रावधानों का पालन नहीं किया जाता है, हमारी स्थिति मजदूर की तरह ही हो गया है ,लेकिन मजबूरी है कि नाम बताने पर नौकरी चली जाएगी.

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प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट का दो टूक

प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने भी माना की प्रदेश 70 प्रतिशत स्कूल किराए के मकान में संचालित हो रहे, मान्यता दी जाती है तो स्कूल संचालित हो रहे हैं.

क्या कहते है जिम्मेदार

लोक शिक्षण संचालक जितेंद्र शुक्ला ने कहा स्कूलों का ऑडिट करने का प्रावधान है, नियम कानून का पालन किया जा रहा जहां शिकायत आ रही है वहां कार्रवाई की जाएगी, सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा.

कटघरे में शिक्षा विभाग

अब सवाल ये उठ रहा है कि क्यों शिक्षा विभाग क्यों घुटना टेका है ? आखिर क्यों सब कुछ जानते हुए शिक्षा विभाग मौन है ? क्या शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के बीच क्या कोई खेल चल रहा है, जिसको दबाने का प्रयास हो रहा है ? शिक्षा विभाग की क्या कोई मजबूरी है ? नियम कानून का पालन क्यों नहीं कराया जा रहा है ? इन सब सवालों का जबाव न शिक्षा विभाग के पास है न निजी स्कूलों के पास. ऐसे में पालक का जेब तो कटता ही रहेगा, बच्चों के भविष्य खिलवाड़ होता रहेगा ही नहीं बल्कि नियम कानून का भी धज्जिया उड़ता रहेगा, ऐसा न इसके लिए क्या शिक्षा मंत्री संज्ञान लेंगे. विभाग की गरिमा को बचाए रखने के लिए नियम कानून अनुरूप क्या कार्रवाई होगी ?